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कल पेश होगा झारखंड का बही खाता, पिछले बजट की 59 में से 10 घोषणा ही पूरी हुई; बैंक में पड़ी रह गई राशि

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। कल यानि मंगलवार को चंपाई सरकार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी। यह इस सरकार का अंतिम बजट होगा। गौरतलब है कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 3 मार्च 2023 को पेश किया गया था। इसमें तत्कालीन हेमंत सरकार की ओर से 59 घोषणाएं की गई थी। जिनमें सरकार केवल 10 घोषणा ही पूरी कर पाई है। बाकी राशि बैंक में पड़ी रह गई। देखा जाए तो चालू वित्त सत्र में अब केवल 38 दिन ही बचे हैं और अबतक 49 घोषणाएं पूरी कर हुई है।


कई योजनाएं स्वीकृत तो हो गई, लेकिन टेंडर में देरी 
भास्कर में छपी एक खबर के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 3 मार्च 2023 को वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने पेश किया था। उसमें 59 घोषणाएं की गई थी। पता चला कि इनमें से सिर्फ 10 योजनाएं ही पूरी हो पाई। तीन अन्य घोषणाएं आंशिक रूप से पूरी हुई, जबकि चालू वित्त वर्ष में अब महज 38 दिन ही बचे हैं। 83 फीसदी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाईं। कई योजनाएं स्वीकृत तो हो गई, लेकिन टेंडर में देरी के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका। मैनपावर की कमी भी एक बड़ा कारण रहा। वहीं योजनाओं के पैसे बैंकों में रखने और उसका ब्याज कमाने की प्रवृत्ति के कारण भी कुछ योजनाएं पिछड़ गई।


ये प्रमुख घोषणाएं जो नहीं हुई पूरी

  • गिरिडीह और जमशेदपुर में नए डेयरी प्लांट और रांची में मिल्क पाउडर प्लांट व मिल्क प्रोडक्ट प्लांट की स्थापना
  • युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना और प्रतियोगिता
  • परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग के लिए मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना
  • बोकारो और रांची में मेडिकल कॉलेज की स्थापना
  • आंगनबाड़ी सेविकाओं को आधुनिक सूचना तंत्र से जोड़ने के लिए स्मार्ट फोन देना
  •  आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं के लिए सामूहिक बीमा योजना
  •  नए नर्सिंग कॉलेज एवं फार्मेसी कॉलेज की स्थापना
  • नेतरहाट स्कूल की तर्ज पर चाईबासा, दुमका और बोकारो में आवासीय स्कूलों का निर्माण
  • बरही, बुंडू, पतरातू, चाईबासा, जमशेदपुर में नॉलेज सिटी और खूंटी में नए राजकीय पॉलिटेक्निक की स्थापना
  • अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं के लिए रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद, देवघर, बोकारो और चाईबासा में बहुमंजिला हॉस्टल बनाना
  • मानकी, मुंडा और डकुआ आदि की न्यायिक, प्रशासनिक और वित्तीय कार्य भूमिकाओं के महत्व को देखते हुए दोपहिया वाहन उपलब्ध कराना
  • जनजातीय संस्कृति और समृद्ध विरासत के संरक्षण के लिए जनजातीय कला केंद्रों को पारंपरिक वाद्ययंत्र देना

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