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Ranchi : नेशनल हेराल्ड प्रकरण में बोले राजेश ठाकुर, सत्य की हमेशा विजय होती है

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डेस्क: 

बुधवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस प्रेस वार्ता को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने संबोधइत किया। राजेश ठाकुर ने प्रेस वार्ता में नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी से हो रही पूछताछ के बाबत कई बातें कहीं। उन्होंने इस दौरान नेशनल हेराल्ड का इतिहास भी बताया और मसला समझाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना पं . जवाहरलाल नेहरू , सरदार पटेल , पुरुषोत्तम टंडन , आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं द्वारा वर्ष 1937 में की गई थी।

 

देश की स्वतंत्रता को आवाज देने के लिए गठन! 
राजेश ठाकुर ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना इसलिए की गई थी ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जा सके। 1942 से 1945 तक अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया था , जिसे महात्मा गांधी ने " राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक त्रासदी " के रूप में वर्णित किया था।

उत्कृष्ट संपादन के बावजूद अखबार को घाटा! 
समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया। परिणामस्वरूप इसके द्वारा देय बकाया राशि 90 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिए कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इस 90 करोड़ रुपए की राशि में से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रुपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिए उपयोग किए और बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर , किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई। 


बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी  जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रुपये के ऋण को अपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं , ऐसा वह विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं । यह सर्वथा अस्वीकार्य है। 

राजनीतिक दल द्वारा ऋण देना अपराध नहीं है! 
राजेश ठाकुर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा ऋण देना भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है फिर , कांग्रेस पार्टी द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( 1937 से कांग्रेस पार्टी से निकटता से जुड़ी और कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करने वाली कंपनी ) को समय - समय पर कुल 90 करोड़ रुपये का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है ?

इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दर्शाया गया था , जिसका विधिवत लेखा - जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया।

यहां तक कि चुनाव आयोग ने दिनांक 06.11.2012 के अपने एक पत्र के माध्यम से सुब्रमण्यम स्वामी को यह स्पष्ट करते हुए लिखा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी राजनीतिक दल द्वारा खर्च को प्रतिबंधित या नियंत्रित करता हो । इस प्रकार , स्वामी / भाजपा द्वारा लगाया गया आपराधिक कृत्य का आरोप स्पष्ट रूप से असत्य है।

इक्विटी शेयरों को इसलिए परिवर्तित कर दिया गया! 
प्रेस वार्ता में राजेश ठाकुर ने कहा कि नेशनल हेराल्ड को दिया गया यह 90 करोड़ रुपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा चुकाना संभव नहीं था इसलिए , इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया था।

चूंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी, इसलिए इस इक्विटी को सेक्शन - 25 के अंतर्गत स्थापित ' यंग इंडियन नामक नॉट फॉर- प्रॉफिट कंपनी को आवंटित कर दिया गया।

कंपनी में कौन-कौन लोग मूल साझेदार थे! 
राजेश ठाकुर ने कहा कि  सोनिया गांधी , राहुल गांधी , स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडीस , स्वर्गीय मोतीलाल वोरा , सुमन दुबे आदि इस ' नॉट फॉर - प्रॉफिट कंपनी की प्रबंध समिति के सदस्य हैं। ' नॉट - फॉर - प्रॉफिट ' की अवधारणा पर स्थापित किसी भी कंपनी के शेयर धारक / प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश , लाभ , वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते हैं इसलिए सोनिया गांधी / राहुल गांधी या ' यंग इंडियन ' में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता । इसलिए स्वामी / भाजपा का अवैध प्राप्ति या लाभ या वित्तीय अर्जन का दावा स्वाभाविक रुप से असत्य है।

कंपनी की चल या अचल संपत्ति को स्थानांतरित नहीं किया! 
झारखंड कांगेस अध्यक्ष ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की समग्र आय और सभी संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की अनन्य संपत्ति बनी हुई हैं। कारण बहुत सरल है। संपत्ति का स्वामित्व कंपनी , यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास है , किसी शेयर धारक के पास नहीं।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की किसी भी चल या अचल संपत्ति को किसी ने भी स्थानांतरित नहीं किया है और न ही ' यंग इंडियन ' ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से एक भी रुपया निकाला है। भले ही ' यंग इंडियन ' एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को नियंत्रित करता है ( क्योंकि इसके पास इसके 99 % शेयर हैं ) , यह अपने प्रबंध समिति के किसी भी सदस्य को एक भी रुपया नहीं दे सकता क्योंकि यह एक नॉट फॉर - प्रॉफिट कंपनी है।

आपराधिक कृत्य या निजी लाभ का सवाल ही नहीं! 
उन्होंने कहा कि भले ही अगर प्रबंध समिति के सदस्यों द्वारा ' यंग इंडियन ' कंपनी का परिसमापन / बंद कर दिया जाता है , तो भी इससे प्राप्त सकल आय केवल नॉट फॉर - प्रॉफिट कंपनी को ही जा सकती है और कानूनी रूप से इसे शेयर धारकों / प्रबंध समिति के सदस्यों के बीच वितरित नहीं किया जा सकता है।

वास्तव में , यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की परिसंपत्तियों / संपत्तियों की हमेशा के लिए रक्षा करता है क्योंकि इसकी संपत्ति को कभी भी निजी व्यक्तियों द्वारा बेचा और उपयोग नहीं किया जा सकता है और यह हमेशा एक ' कोई लाभ नहीं की अवधारणा पर स्थापित कंपनी के पास रहेंगी । इन परिस्थितियों में किसी आपराधिक कृत्य या निजी लाभ पाने का प्रश्न ही कहां उठता है ?

सोनिया गांधी और राहुल गांधी का इरादा स्पष्ट हैं! 
सोनिया गांधी और राहुल गांधी और हमारे नेतृत्व का इरादा बड़ा स्पष्ट है । इरादा स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने का है कि नेशनल हेराल्ड , जो कांग्रेस पार्टी की विरासत का प्रतीक है , उसके मूल्य हमेशा जीवित रहें और हमारे आदशों और सिद्धांतों को व्यक्त करने में नेशनल हेराल्ड हमारी आवाज बना रहे। यह सत्य की लड़ाई है । सत्य की हमेशा विजय हुई है और इस बार भी होगी।  राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व इस ' अग्निपरीक्षा ' से और ओजस्वी होकर उभरेंगे।