द फॉलोअप डेस्क
चंपाई सोरेन ने आज कहा कि अमर शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू से मुलाकात हुई। उन्होंने भोगनाडीह समेत पूरे संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस संथाल परगना के लिए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों को झुका दिया, उस माटी पर आज घुसपैठिये कब्जा कर रहे हैं, हमारी बहन-बेटियों की अस्मत खतरे में है, सामाजिक ताना-बाना बिखर रहा है, लेकिन सरकार बेपरवाह है। इस से शर्मनाक क्या हो सकता है कि वीर भूमि भोगनाडीह में आज आदिवासियों की संख्या पाँच सौ से कम है, जबकि घुसपैठिए कई गुना हो गये। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
चंपाई ने कहा, इस क्षेत्र में संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम लागू होने की वजह से ये लोग जमीन तो खरीद नहीं सकते, फिर ये लाखों लोग यहाँ कैसे और किसके संरक्षण में बस गये? उन्हें पहचानने, उनके कागजातों को जाँचने तथा जमीनों पर से अवैध कब्जा हटाने की जगह उन्हें सस्ते गैस सिलेंडर देने की बात करने वाले कौन लोग हैं? उन्हें पहचानिए। तभी संथाल परगना में आदिवासियों का अस्तित्व बच पायेगा। अन्यथा पाकुड़, राजमहल आदि की तरह अन्य स्थानों पर भी हम आदिवासी अल्पसंख्यक होते चले जाएंगे।