द फॉलोअप डेस्क
संविधान से शरीयत को सुप्रीम बतानेवाले राज्य के अल्पसंख्यक सह जल संसाधन मंत्री हफीजुल हसन ने अब अपना स्टैंड और विचार बदला है। राज्य में उठे भारी विवाद के बाद मंत्री ने अपने पूर्व के बयान पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने बजाप्ता प्रेस रिलीज जारी कर कहा है -मैं बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति गहरी श्रद्धा रखता हूँ। जिनकी प्रेरणा से मैंने अपने सार्वजनिक जीवन में समावेशिता और सामाजिक न्याय के लिए कार्य किया है। धर्म, जाति, वर्ग, क्षेत्र से ऊपर उठकर मेरे द्वारा किए गए कार्य मेरी संवैधानिक निष्ठा की गवाही देता है।
हफीजुल हसन ने आगे कहा है-मैं दोहराना चाहता हूँ कि संविधान मेरे लिए सर्वोपरि है और मेरा कोई भी कथन या कार्य कभी इसके मूल्यों के खिलाफ नहीं रहा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा की गारंटी है हमारा संविधान। जहां संविधान देश के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है वहीं वह सरकारों को ऐसा वातावरण बनाए रखने का निर्देश देता है जिसमें देश के सभी नागरिक अपने भाषाई एवं धार्मिक पहचान को अक्षुण्ण रख सकें।देश ने केंद्रीय मंत्रियों को अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति निंदनीय - नफरती शब्दों का प्रयोग करते हुए देखा है। किसी ने अल्पसंख्यकों को खुले आम देश छोड़ने को कहा तो किसी ने हमें मंच से गोली मारने का नारा लगवाया। मैं मानता हूँ एवं दोहराता हूँ कि हर किसी को अपने धर्म से असीमित प्रेम करने का अधिकार है लेकिन वह प्रेम दूसरे धर्म के प्रति नफरत का रूप नहीं लेनी चाहिए।
मेरे बयान को जिस ढंग से भी परोसा जाए, लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप करता रहूँगा और सभी समुदायों के लिए न्याय, समानता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूँगा। मालूम हो कि हफीजुल हसन के पूर्व के बयान का भाजपा ने सबसे अधिक विरोध किया है। कल राजभवन में राज्यपाल से मिल कर भाजपा नेताओं ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करने की भी मांग की थी।