logo

गढ़वा : मंत्री मिथिलेश ठाकुर की बढ़ी मुश्किलें, राज्य निर्वाचन आयोग ने गढ़वा डीसी से मांगी रिपोर्ट

mitilesh3.jpg

गढ़वाः

इनदिनों राज्य के मंत्रियों पर जैसे कोई ग्रहण लग गया है। एक के बाद एक हेमंत कैबिनेट के मंत्रियों पर आरोप पर आरोप लगाए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इनदिनों मुश्किलों में फंसते दिख रहे हैं। इसी बीच पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर की भी मुश्किलें बढ़ गयी हैं। मिथिलेश ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनी मेसर्स सत्यम बिल्डर्स द्वारा कई ऐसे सरकारी टेंडर लिये थे, जो विधानसभा चुनाव 2019 के समय अस्तित्व में थी। गढ़वा विधानसभा से निर्वाचन अयोग्य मामले में एक शिकायत भारत निर्वाचन आयोग को की गयी है। रांची के सामलौंग के रहने वाले सुनील महतो के तरफ से यह शिकायत की गयी थी। शिकायत के जवाब में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सह सचिव के. रवि कुमार ने गढ़वा डीसी को एक पत्र लिखा है। पत्र में के. रवि कुमार ने गढ़वा डीसी से नियमानुसार कार्रवाई करते हुए विस्तृत रिपोर्ट मंत्रिमंडल निर्वाचन विभाग को देने का निर्देश दिया है, ताकि आयोग को इससे अवगत कराया जा सके। 


अयोग्य घोषित किया जाए मिथिलेश ठाकुर को 
23 मार्च को सुनील महतो द्वारा की गयी शिकायत में मिथिलेश ठाकुर को अयोग्य घोषित करने को लेकर बिंदुवार शिकायत की गयी है। शिकायत में कहा गया है कि झारखंड विधानसभा चुनाव – 2019 में गढ़वा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित मिथिलेश कुमार ठाकुर का निर्वाचन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 9A के दायरे में है। उनकी सदस्यता समाप्त करने योग्य है।


बिंदुवार की गयी शिकायत इस प्रकार है 
1 – मिथिलेश कुमार ठाकुर द्वारा अपने फॉर्म 26 में दिए गए ब्यौरे के अनुसार, वह मेसर्स सत्यम बिल्डर्स, अमला टोला, चाईबासा, पश्चिमी सिंहभूम के पार्टनर हैं. यह कंपनी सरकारी ठेका लेने का काम करती है. सत्यम बिल्डर्स द्वारा सरकार के साथ की गई कई टेंडर विधानसभा निर्वाचन 2019 के दौरान अस्तित्व में थी. सरायकेला-खरसावां मार्ग पर बनी संजय नदी पर 8.18 करोड़ की लागत से उच्च स्तरीय पुल निर्माण के लिए मिथिलेश ठाकुर की कंपनी ने सरायकेला-खरसावां पथ निर्माण विभाग से 21 मई 2013 को एग्रीमेंट किया था. एग्रीमेंट के अनुसार, कार्य समाप्ति की तिथि 20 अक्टूबर 2014 थी. उक्त पुल निर्माण का कार्य जनवरी 2022 तक लंबित है. यानी मिथिलेश कुमार ठाकुर द्वारा पथ निर्माण विभाग के साथ की गई संविदा विधानसभा चुनाव 2019 के बाद भी जनवरी 2022 तक अस्तित्व में है।

2 –  बिहार सरकार की कंपनी बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के साथ तिरहुत पूर्वी प्रमण्डल के क्षेत्राधीन कई मॉडल स्कूल के भवनों का निर्माण कार्य के लिए मेसर्स सत्यम बिल्डर्स द्वारा 2014 में एग्रीमेंट किया गया, जो कि विधानसभा चुनाव 2019 के समय अस्तित्व में थी. एग्रीमेंट के अनुसार, काम पूरा नहीं होने पर बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड ने 16 अगस्त 2021 को यह एग्रीमेंट रद्द कर दिया है।

 

3 – 9.36 करोड़ की लागत से चक्रधरपुर नगर परिषद भवन कार्यालय का निर्माण, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य विधान सभा चुनाव 2019 के दौरान लंबित था. यह संविदा भी लंबित थी.

4-  जगन्नाथपुर में आईटीआई कॉलेज के भवन निर्माण में मजदूरों को निर्धारित मजदूरी दर नहीं देने पर 25 मजदूरों ने 6 अगस्त 2013 को मेसर्स सत्यम बिल्डर्स के खिलाफ श्रम विभाग से शिकायत की थी. इसी तरह झींकपानी में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण में 44 मजदूरों ने कम मजदूरी देने की शिकायत की थी. श्रम विभाग ने दोनों मामलों में कुल 1,06,815 रुपये का जुर्माना लगाया था. जिसे मिथिलेश ठाकुर की कंपनी ने अभी तक नहीं चुकाया है.