द फॉलोअप डेस्क
24 फरवरी से झारखंड विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हुआ। कुछ ही दिनों चली सदन की कार्यवाही के बाद सदन के भीतर सत्ता पक्ष और विपक्ष के व्यवहार में बुधवार से बदलाव आने लगा। बुधवार को दिलचस्प यह रहा कि सत्ता पक्ष के ही विधायक अपनी सरकार के विरुद्ध सदन में एक इंजीनियर के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर एकजुट हो गए। सरकार पर उस इंजीनियर के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर अड़ गए। विपक्ष की भूमिका में आ गए। मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू को छोड़ सत्ता पक्ष का कोई भी अन्य विधायक सरकार के पक्ष में खड़ा नहीं हुआ। स्वर्ण रेखा परियोजना के अधीन शीर्ष कार्य प्रमंडल में फर्जी खाता खोल कर निकाली गयी राशि के मामले में सत्ता पक्ष के ही नहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से एफआईआर करने की मांग कर बैठे। प्रश्न पर चर्चा के दौरान वे अड़ भी गए। उन्होंने धमकी दे डाली कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वह धरना पर बैठ जाएंगे।
कांग्रेस और झामुमो विधायक सरकार के खिलाफ एकजुट हुए
इतना ही नहीं सत्ता पक्ष के ही विधायक स्टीफन मरांडी ने भी उनका साथ दिया। स्टीफन मरांडी ने कहा कि एफआईआर नहीं करके और विभागीय कार्यवाही चला कर इंजीनियर को बचाने की साजिश हो रही है। पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव भी प्रदीप यादव के साथ हो गए। उन्होंने कहा कि एफआईआर तो होना ही चाहिए। मामला काफी संगीन है। 100 करोड़ रुपए के गबन का मामला है। इस संगीन मामले में बचाने की कोशिश सही नहीं है। झामुमो के वरिष्ठ विधायक मथुरा महतो भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने और कड़ा प्रहार किया। कहा-मामला गंभीर है। कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इससे सरकार की छवि और निखरेगी। झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू और तन गए। उन्होंने कहा कि सिर्फ कलर्क संतोष ही दोषी क्यों। कार्यपालक अभियंता के बगैर कोई रोकड़पाल इतनी बड़ी राशि का गबन कैसे कर सकता है। विभागीय कार्यवाही बता रहा है कि विभाग की नीयत ठीक नहीं है। इतना ही नहीं इस मामले में स्पीकर के तेवर भी सरकार के विरुद्ध ही नजर आ रहे थे। स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि वह नियमन दे देंगे।
श्वेता सिंह भी उखड़ गयी
बोकारो से कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह भी बुधवार को बोकारो डीसी को लेकर सदन में अपनी पीड़ा व्यक्त कर बैठी। उनका कहना था कि बोकारो डीसी जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं करती। उदंडता से पेश आती है। मुझे मेरा अधिकार बताने लगी। क्या कोई विधायक अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर डीसी से बात नहीं कर सकते हैं। क्या इसके लिए सचिव और सरकार से ही बात करनी होगी। उन्होंने स्पीकर से पूछा भी कि इस तरह के मामले में वह क्या करे। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि विधायकों के विशेषाधिकार की रक्षा की जाएगी।
विपक्ष ने भी बदला व्यवहार
पिछले कुछ दिनों से सदन के भीतर अनुशासन और शालीनता का परिचय दे रहा विपक्ष ने भी बुधवार को अपना व्यवहार बदल दिया। दोपहर बाद बजट पर चर्चा के क्रम में जब भाजपा विधायकों के बोलने का समय समाप्त हो गया तो सभी के सभी भाजपा विधायक सदन का वाकआउट कर गए। बुधवार से भाजपा ने वाकआउट का सिलसिला प्रारंभ कर दिया।