रांची
रमजान के आखिरी शुक्रवार को राजधानी रांची समेत कई शहरों की मस्जिदों में अलविदा जुमे की नमाज अदा की गई। इस खास मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर यह विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें कई स्थानों पर लोगों ने पोस्टर और बैनर के जरिए केंद्र सरकार की नीतियों पर असहमति जताई।
क्या है विरोध की वजह?
रांची की एकरा मस्जिद के खतीब मोहम्मदुल्लाह कासमी ने कहा कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है, जिससे वक्फ की संपत्तियों पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, "जो संपत्ति मुसलमान अल्लाह के नाम पर वक्फ करते हैं, सरकार उसमें हस्तक्षेप कर उसे हड़पने की कोशिश कर रही है।" उनके अनुसार, इस संशोधन से वक्फ संपत्तियों पर निर्भर गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
समाज के अन्य प्रमुख लोगों की राय
एआईएमआईएम नेता मेहताब आलम ने इस मुद्दे पर कहा कि मुस्लिम समुदाय वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने में सक्षम है और इसमें किसी भी तरह के सरकारी संशोधन की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी संपत्तियों को तो ठीक से संभाल नहीं पा रही, लेकिन वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने की योजना बना रही है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को चेतावनी देते हुए कहा कि मोदी सरकार उनके समर्थन पर निर्भर है, इसलिए उन्हें इस विधेयक का विरोध करना चाहिए। उन्होंने झारखंड सरकार से भी मांग की कि वह अन्य राज्यों की तरह वक्फ संशोधन को लागू न करने की अधिसूचना जारी करे।
चतरा में भी विरोध प्रदर्शन
रांची के अलावा चतरा में भी इस विधेयक के खिलाफ विरोध देखा गया। वहां के शहर काजी मुफ्ती नजरे तौहीद और मोहम्मद बिन नजरे नदवी ने इस विधेयक को मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के लिए खतरा है।
बोर्ड ने सोशल मीडिया पर भी इस विधेयक पर चिंता जताते हुए इसे मुसलमानों के धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों से उन्हें वंचित करने की कोशिश बताया। बोर्ड ने देशभर के मुसलमानों से अपील की थी कि वे अलविदा जुमे के दिन काली पट्टी बांधकर इसका विरोध दर्ज करें।