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बड़ी खबर : सिर्फ बच्चों को पढ़ाएंगे! शिक्षकों से नहीं लिए जाएंगे गैर-शैक्षणिक काम, इस राज्य ने किया ऐलान

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डेस्क: 

पंजाब में शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक काम नहीं लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि शिक्षकों का इस्तेमाल गैर-शैक्षणिक कार्यों में नहीं किया जाएगा। शिक्षकों का काम केवल बच्चों को पढ़ाना होगा। इस मौके पर डिजिटल शिक्षा को समय की आवश्यक्ता बताते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए निर्णय की तर्ज पर नए शिक्षण कौशल हासिल करने के लिए शिक्षकों को ऑक्सफोर्ड, हॉवर्ड सहित अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों में भेजा जाएगा। 

छात्राओं के लिए शटल बस की शुरुआत
इस मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ये भी ऐलान किया है कि कि स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए शटल बस सेवा शुरू की जाएगी ताकि छात्राओं के ड्रॉप-आउट को रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने शिक्षा को लेकर जो भी बड़े ऐलान किए उसमें सबसे अहम शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक काम नहीं लिया जाना शामिल है। गौरतलब है कि लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। झारखंड के संदर्भ में देखें तो विशेष तौर पर राज्य सरकार द्वारा संचालित सरकारों स्कूलों में ये समस्या बहुत गंभीर है। 

झारखंड में लंबे समय से उठती रही है मांग
झारखंड में बीते काफी समय से ये मांग उठती रही है कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाएगा। इसकी वजह शिक्षकों पर बढ़े हुए काम का अतिरिक्त बोझ, शिक्षकों की भारी कमी और शिक्षा की गिरती गुणवत्ता रही है। दरअसल, झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। सैकड़ों स्कूल वैसे हैं जो महज 1 या 2 शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों पर मिड-डे-मील योजना को संचालित करने, बच्चों का बैंक खाता खुलवाने, अलग-अलग मीटिंग्स में हिस्सा लेने और अब तो बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनवाने तक की जिम्मेदारी डाल दी गई है। इससे ना केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है बल्कि शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ता है। बीते कई वर्षों से नई नियुक्तियां हुई नहीं हैं। 

गैर-शैक्षणिक काम में व्यस्त रहते हैं शिक्षक
गौरतलब है कि शिक्षकों को पहले से मतदान, मतदाता पहचान पत्र की स्क्रूटनी, पल्स पोलियो अभियान और जनगणना एवं पशुगणना जैसे कामों में लगाया जाता रहा है। कोरोना काल में शिक्षकों पर तापमान और ऑक्सीजन जांच तक की जिम्मेदारी डाली गई। टीकाकरण अभियान में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई। लंबे समय से शिक्षकों की मांग रही है कि उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए लेकिन अब तक ऐसा हो नहीं पाया। शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो ने जरूर कई मौकों पर कहा है कि वे शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने की दिशा में कार्य करेंगे।