मुंबई:
भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। इससे भारत में लोन महंगा हो गया है और अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह घटेगा। लोगों के खर्च काफी हद तक घटेंगे। इससे रेपो रेट बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई है। इससे लोन की मासिक किस्त बढ़ जाएगी साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी निर्णय लिया है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में हुआ फैसला
आरबीआई के गवर्रनर शक्तिकांत दास ने यह भी बताया कि मौद्रिक नीति समिति के तीन दिन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है।
उन्होंने यह भी बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला लिया गया है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है।
समझिए! रेपो रेट आखिर होता क्या है!
रेपो रेट वह बयाज दर है, जिस पर भारत में राष्ट्रीयकृत सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते है। महंगाई में इजाफा होने के बाद आरबीआई रेपो रेट में इजाफा करता है, महंगाई दर मे गिरावट होने पर इसे कम करता है। रेपो रेट का मतलब यह है कि जब वाणिज्यिक (Commercial) बैंकों को धन की कमी सामना करना पड़ता है, तो वे आरबीआइ द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों जैसे ट्रेजरी बिल को बेचकर आरबीआई से एक दिन के लिए लोन लेते है।
इन अहम बिंदुओं से समझिए, क्या बदलने वाला है!
• आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जिससे कुल रेपो रेट बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई है।
• रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले कुछ माह के दौरान भारत से 13.3 अरब डॉलर की पूंजी निकाली गई।
• रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है।
• अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाते मंदी का जोखिम जताया।
• बैंको की ऋण की वृध्दि बढ़कर 14 प्रतिशत हई। एक साल पहले यह 5.5 प्रतिशत थी।
• भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृध्दि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा।
• विदेशी मुद्रा भंडार वित्तीय क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी और वैश्र्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से बचाव कर रहा है।
• मौद्रिक नीति समिति ने स्थायी जमा सुविधा एसडीएफ दर 4.65 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.15 प्रातिशत की।
• उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति असंतोषजनक स्तर पर है. मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने का अनुमान है।
• मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीती पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया।