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अब ड्रैगन टॉर्च से होगी राज्य के जंगलों की सुरक्षा, क्या है ये तकनीक 

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द फॉलोअप डेस्क रांची: 
वन विभाग ने झारखंड के जंगलों की सुरक्षा के लिए नई तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया है। अब झारखंड के जंगलों में ड्रैगन टॉर्च का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे रात के अंधेरे में तस्करों और जंगली जानवरों पर नजर रखी जा सकेगी। 
वन विभाग ने सभी वन प्रमंडलों में 885 ड्रैगन टॉर्च उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। पलामू टाइगर रिजर्व के लिए सबसे अधिक 90 ड्रैगन टॉर्च दी जाएंगी। हजारीबाग के जंगलों की निगाहबानी के लिए 60, रांची, चतरा और जमशेदपुर के लिए 50-50 ड्रैगन टॉर्च दी जाएंगी। 

इसके अलावा, जंगल क्षेत्र में जानवरों के पानी पीने के लिए 770 चेक डैम का भी निर्माण किया जाएगा। बोकारो, धनबाद, रामगढ़, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज, कोडरमा, चाईबासा, जमशेदपुर, कोल्हान, पोराहाट, सरायकेला, सारंडा, लातेहार, मेदिनीनगर, गुमला, खूंटी, लोहरदगा और रांची में 20-20 चेकडैम बनाए जाएंगे। जबकि गिरिडीह में 40, देवघर में 35, चतरा में 40, हजारीबाग में 40, गढ़वा में 40 और सिमडेगा में 35 चेकडैम का निर्माण किया जाएगा। वहीं, जंगल में मौजूद 618 परंपरागत जलस्त्रोतों का भी जीर्णाद्धार किया जाएगा। 
क्या होता है ड्रैगन टॉर्च 
बता दें कि ड्रैगन टॉर्च एक शक्तिशाली टॉर्च या स्पॉटलाइट होता है। इसकी साहयता से दूर से वस्तुओं को देखने में मदद मिलती है। कम रोशनी वाले इलाकों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी इस विशेषता के कारण वन विभाग में इसका इस्तेमाल किया जाता है। जिससे आसानी से तस्करों और जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।


 

Tags - झारखंड वन विभाग नई तकनीक ड्रैगन टॉर्च Jharkhand Forest Department New Technology Dragon Torch