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किसानों को वैकल्पिक कृषि और वनोपज के लिए प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करें अधिकारी : हेमंत सोरेन 

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रांची
झारखंड में कृषि तथा वनोपज क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए सिदो-कान्हू कृषि और वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड का गठन हुआ है। इसका उद्देश्य विभिन्न वनोपज का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित करना है ।ऐसे में इस सहकारी संघ की जानकारी किसानों तक पहुंचनी चाहिए, ताकि वे इससे जुड़कर  उत्पादों का लाभ ले सकें। मंगलवार को ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहीं। वे सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड के निदेशक  पर्षद की तृतीय बैठक में बोल रहे थे


सभी लैम्प्स-पैक्स को पूरी तरह क्रियाशील करें 
बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्यभर में अवस्थित सभी लैम्प्स-पैक्स को पूरी तरह क्रियाशील करने का निर्देश अधिकारियों को दिया, ताकि किसानों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि लैम्प्स और पैक्स से आज भी किसानों की एक बड़ी संख्या निबंधित नहीं है। ऐसे में छूटे हुए सभी किसानों को जोड़ने की पहल करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि लैम्प्स-पैक्स भवनों की मरम्मत के साथ उसके उचित रखरखाव और बेहतर प्रबंधन की पुख्ता व्यवस्था हो।

वैल्यू एडिशन के साथ जियो टैगिंग हो 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में  लाह, इमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी, आंवला, महुआ, करंज, रेशम और  तसर जैसे कई वनोपज हैं, जिसकी  उपयोगिता और  बाजार में काफी ज्यादा मांग है।   लेकिन  इसके उत्पादकों को इसका उचित फायदा नही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड के इन विशेष उत्पादों का वैल्यू एडिशन के साथ जियो टैगिंग करने की दिशा में कदम उठाएं, ताकि इन वनोपजों को बाजार उपलब्ध कराने के साथ किसानों को पूरा फायदा मिल सके। इससे झारखंड के इन विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक बाजार में भी अलग पहचान मिलेगी।

 वनोपज तथा कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समुचित कदम उठाएं जाएं 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनोपज और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समुचित कदम उठाएं जाने चाहिए। वनोपज से जुड़े ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ें। इनके उत्पादन से संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण दें, ताकि वह व्यावसायिक रूप से इनका उत्पादन कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाह तथा रेशम -तसर की खेती की झारखंड में काफी संभावनाएं  हैं।  ऐसे में इसके उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में पहल करें । 

 वैकल्पिक कृषि के लिए किसानों को प्रशिक्षित करें 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिस तरह मौसम में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है उसे परंपरागत कृषि काफी प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसानों को वैकल्पिक कृषि के लिए भी तैयार रहना होगा । उन्होंने कहा कि कृषक पाठशाला राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। इस कृषक पाठशाला में किसानों को वैकल्पिक खेती का प्रशिक्षण दें । उन्हें वनोपज से जोड़ें। इसके लिए उन्हें संसाधन भी उपलब्ध कराने की पहल करें ताकि विपरीत परिस्थितियों में वे कृषि कार्य से जुड़कर अपने को मजबूत बनाए रख सकें। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि केंदू पत्ता वनोपज को भी सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ के दायरे में लाने की संभावनाएं तलाशें। इससे केंदू पत्ता के उत्पादन से जुड़े श्रमिकों को फायदा मिलेगा। 

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा की फुदी स्थित नवनिर्मित सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र में सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। उसे प्रोफेशनल तरीके से चलाया जाए। यदि आवश्यक हो तो राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) अथवा राष्ट्रीय प्रशिक्षण सहकारी परिषद् (NCCT) से एमओयू कर वहां प्रोफेशनल अथवा वोकेशनल कोर्सेज करवाया जाए ताकि राज्य के नवयुवकों का स्किल डेवलपमेंट हो और उन्हें रोजगार मिल सके। PPP मोड में भी चलने की संभावना तलाशी जाए |

 मधु संग्राहकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए 
बैठक में  मुख्यमंत्री ने कहा कि मधु संग्राहकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए। उनका समूह बना कर सिध्कोफेड से जोड़ा जाए एवं उनके मधु को वैश्विक बाजार उपलब्ध करने के लिए अमूल, सफोला, हिमालय जैसी बड़ी कंपनियों / संस्थाओं से एमओयू किया जाए ताकि मधु संग्राहकों को उचित मूल्य मिल सके तथा लोगों को उच्च गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्यवर्धक मधु उपलब्ध हो सके।  बैठक में कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, कृषि सचिव अबु बकर सिद्दीक, अनुसूचित  जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग सचिव कृपानंद झा, सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ के निदेशक सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी उमाशंकर सिंह,  जेएसएलपीएस के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संदीप सिंह एवं एपीसीसीएफ -सह- प्रबंध निदेशक जेएसएफडीसी वाईके दास मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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