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महिला आरक्षण बिल पर बोले सीएम हेमंत, इसे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले क्यों लाया केंद्र

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द फॉलोअप डेस्कः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महिला आरक्षण पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि मैं हमेशा महिलाओं के अधिकार के पक्ष में बात करता हूं। इस बिल की दुनियाभर में चर्चा है। खासकर अपने नाम को लेकर, जबकि यह तो 'महिला आरक्षण बिल' है। नाम कुछ और ही कहता है। ये बिल आरक्षण है या वंदना है। एक बिल का किस तरह से नामकरण हो रहा है और किस तरीके से हर चीजों को बदला जा रहा है ये तो आज चर्चा का विषय है ही लेकिन मैं समझता हूं कि देश के आजाद होने के बाद से कई नियम और कई कानून बनें। मैं खुद आदिवासी समुदाय से आता हूं। आज कितने आदिवासी दलित पिछड़े अल्पसंख्यक लोग अपनी पहचान बना पाए हैं इसपर भी चर्चा होनी चाहिए। आज महिलाएं समान भागीदार के रूप में खड़ी हो रही हैं. स्वाभाविक रूप से उन्हें अधिकार देने का दायित्व सरकार का है।  मैं तो पक्ष में हूं कि महिलाओं को अधिकार मिले। आगे उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में त्रिस्तरीय व्यवस्था है, जिसमें हमने महिलाओं को 50% आरक्षण दिया है, लेकिन इससे अधिक महिलाएं चुनकर आती हैं। झारखंड विधानसभा में महिलाओं की सर्वाधिक भागीदारी है। राज्य सरकारें अपने स्तर पर काम कर रही हैं। देश स्तर पर भी सरकार को ऐसा कुछ सोचना चाहिए। जिसमें महिलाओं के लिए स्पष्टता से चीजें आनी चाहिए। ना कि इस तरीके से कि किसी भी चीज को ले आए और वो एक ज्वलंत मुद्दा या डिबेट का मुद्दा हो।


लोकसभा चुनाव से पहले यह उपहार दिया जा रहा
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा केंद्र की मोदी सरकार के दिल में कुछ ना कुछ हिडेन चीजें हैं। जब लोकसभा चुनाव सामने है और कुछ उपहार दिया जाता है तो कुछ लोगों का कहना होता है कि रेवड़ियां बांटी जा रही हैं। वर्तमान मोदी सरकार द्वारा जो ये बिल लाया गया है इसे हम किस रूप में लें? सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आप देखिएगा आने वाले समय में बहुत सारी बातें महिला आरक्षण बिल को लेकर सामने आएंगी. बहुत सारी चीजें स्पष्ट होंगी या नहीं भी हो सकती हैं। अब केंद्र सरकार के इस कदम को क्या कहा जाये? सीएम ने कहा कि महिलाओं के मुद्दे पर सभी लोगों को साथ लेकर एक समग्र विचार के साथ आगे बढ़ाना होगा, तभी यह सार्थक होगा। बता दें कि सीएम गुरुवार को सबसे पहले पिता शिबू सोरेन के आवास पहुंचे और उनकी तबीयत के बारे में जानकारी ली। साथ ही डॉक्टरों से भी बातचीत की. बताया गया कि सीएम दिल्ली में कुछ विधि विशेषज्ञों से भी राय ले रहे हैं। इडी ने उन्हें 23 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है। 

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