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पारसनाथ पहाड़ विवाद : आदिवासी संगठनों ने निकाली "अतिक्रमण हटाओ, मरांग बुरू बचाओ" जन आक्रोश रैली

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द फॉलोअप डेस्क
गिरिडीह में 12 मार्च 2025 को आदिवासी-मूलवासी समाज के विभिन्न सामाजिक और धार्मिक जन संगठनों ने एक विशाल जन आक्रोश रैली का आयोजन किया। यह रैली मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) मधुबन, गिरिडीह फुटबॉल मैदान में आयोजित की गई। इस दौरान संगठनों ने "अतिक्रमण हटाओ, मरांग बुरू बचाओ" के नारे के साथ रैली के माध्यम से राष्ट्रपति के सामने अपनी मांगें रखीं।

मरांग बुरू है संथाल आदिवासियों का देव स्थल
बता दें कि पारसनाथ पर्वत के धार्मिक महत्व को लेकर काफी समय से जैन धर्मावलंबियों और आदिवासी समाज के बीच मतभेद चल रहा है। इस बीच संथाल आदिवासी समाज की ओर से प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह स्थल संथाल आदिवासियों का देव स्थल है, जो सदियों से पूजा-अर्चना का केंद्र रहा है।

रैली में शामिल लोगों ने राष्ट्रपति से ये मांगें की हैं-
1. मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को देव स्थल के रूप में अधिसूचित किया जाए

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मरांग बुरू आदिवासी संथाल समाज का धार्मिक स्थल है और इसे संविधान के अनुसार संरक्षित किया जाए। यह स्थल संथाल आदिवासियों का प्रथागत अधिकार (Customary Right) है, जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए। 1917 में प्रीवी काउंसिल के आदेश के तहत यह अधिकार पहले ही स्थापित किया गया था, और अब इसे कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए।

2.संविधानिक अधिकारों की रक्षा 
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि जैन समुदाय के दबाव में बिना ग्राम सभा की सहमति से किए गए संशोधनों को वापस लिया जाए, जिससे संथाल आदिवासियों के प्रथागत अधिकारों को खतरा हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मरांग बुरू में जैन समुदाय द्वारा शिकार और बलि प्रथा पर रोक लगाने की साजिश हो रही है, जिसका विरोध किया जा रहा है।

3. अतिक्रमण हटाया जाए 
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जैन समुदाय ने मरांग बुरू के पर्वत के ऊपर वन भूमि पर 50 से अधिक मठ-मंदिर बनाकर अतिक्रमण किया है। उन्होंने एक सेवानिवृत्त न्यायधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर इस अतिक्रमण की जांच और अविलंब हटाने की मांग की।4. सरना आदिवासी धर्म कोड लागू किया जाए 
आदिवासियों ने झारखंड विधानसभा से पारित सरना आदिवासी धर्म कोड को लागू करने की अपील की।

5. स्व अजय टुडू हत्याकांड की सीबीआई जांच
रैली में भाग लेने वाले लोग स्व. अजय टुडू की हत्या की सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे थे, जिनकी हत्या वर्ष 2008 में संथाल आदिवासियों के प्रथागत अधिकारों के लिए आवाज उठाने के कारण की गई थी।

इस जन आक्रोश रैली में मुख्य रूप से रामलाल मुर्मू, महावीर मुर्मू, बाबूराम सोरेन, सुधीर बास्के, दुर्गाचरण मुर्मू, लखन सोरेन (संथाली अभिनेता), पार्सी मार्डी आदि प्रमुख नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से निवेदन किया कि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई की जाए। उनके प्रथागत अधिकारों की रक्षा की जाए, ताकि मरांग बुरू देव स्थल और आदिवासियों की धार्मिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके।

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