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Ranchi : JSSC संशोधित नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 7 सितंबर को होगी सुनवाई

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रांचीः 
JSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधित नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। अब 7 सितंबर को मामले की सुनवाई होगी। राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार और प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यहां की भाषाओं को लोग समझें और इसे संरक्षित किया जा सके इसलिए यह प्रावधान किया गया है। इसके साथ वरीय उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य सरकार ने स्थानीय भाषा को विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल किया गया है। आज लंबी बहस हुई। 


नियमावली को चुनौती दी गई है
बता दें कि रमेश हांसदा एवं अन्य की ओर से इस नियमावली को चुनौती दी गई है। प्रार्थी की ओर से झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की संशोधित नियुक्ति नियमावली को रद्द करने का आग्रह हाई कोर्ट से किया गया है. कहा गया है की इस नीति से झारखंड के लोग हैं अपने राज्य में नौकरी हासिल नहीं कर सकते हैं, यह भेदभाव वाली नीति है। 


अतिरिक्त लाभ देने का औचित्य नहीं है
पहले की सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि नियमावली में झारखंड के शिक्षण संस्थाओं से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास करना अनिवार्य है।  साथ ही स्थानीय भाषा, रीती रिवाज की भी जानकारी जरुरी है लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के मामले में यह प्रावधान शिथिल रहेगा, ऐसे में उन्हें आरक्षण के बाद अतिरिक्त लाभ देने का कोई मतलब नहीं बनता है। हिंदी को क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी से निकाल दिया गया है।  भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को  हटाया जाना सही नहीं  है क्योंकि राज्य में सबसे ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं। यह भी कहा गया गया कि राज्य सरकार की ओर से संशोधित नियुक्ति नियमावली में लगाई गई शर्तों  के कारण वैसे अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं जिन्होंने राज्य के शिक्षण संस्थाओं से स्नातक की डिग्री हासिल की है, लेकिन उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दूसरे राज्यों में से पास की है।