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अजब-गजब : बोकारो के इस गांव में होली खेलना क्यों मना है, पढ़िए बुजुर्गों ने क्या बताया! 

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बोकारो:

जहां पूरे देश मे रंगों के महापर्व होली की तैयारी हो रही है। होली को लेकर जहां पूरे देश में उमंग और उत्साह का माहौल है वहीं बोकारो जिले के दुर्गापुर गांव में लोग होली नहीं मनाते। कहते हैं कि जहां होली पूरी दुनिया के लिए रंगों का पैगाम लेकर आती है वहीं दुर्गापुर के लिए मातम लेकर आती है। कहते हैं कि यहां रंग और गुलाल उड़ते ही लोगों की मौत होने लगती है। सदियां बीत गईं लेकिन दुर्गापुर गांव के लोग होली नहीं मनाते। इस गांव में लोगों को होली से डर लगता है। 

इस गांव में नहीं होता होली का उल्लास
जहां एक तरफ पूरा भारत होली के उल्लास में झूम रहा होता है। चारों तरफ फगुआ गाया जाता है। हर तरफ रंग ही रंग दिखाई देता है वहीं बोकारो जिला के दुर्गापुर गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहता है। हर तरफ अजीब सी वीरानगी होती है। इस पंचायत के लोग होली आते ही दहशत में जीने लगते हैं। लोग प्रार्थना करते हैं कि कहीं कोई व्यक्ति अंजाने में भी यहां होली ना खेलने पहुंच जाए। ग्रामीण पूरे दिन निगरानी करते हैं। होली वाले दिन यहां रंग-गुलाल तो नहीं उड़ाया जाता लेकिन पुआ-पकवान खूब बनता है। बच्चे पकवान खाकर ही खुश हो जाते हैं। माता-पिता की बात मानते हैं। 

दुर्गापुर पंचायत के 11 टोलों में नहीं मनती होली
बोकारो जिला के कसमार प्रखंड अंतर्गत यह एक पंचायत है दुर्गापुर इस पंचायत के तहत 11 टोला आते है। जिसमें ललमटिया, हरलाडीह, बूटीटांड़, कमारहीर, चडरिया, परचाटोला, तिलसतरिया, डुण्डाडीह, कुसुमटांड़, बरवाटोला, एवं करुजारा नामक टोला है। जिसकी जनसंख्या 10 हजार के आसपास है। यहां सभी जाति-धर्म के लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते है। पर इस गांव सदियों से होली के त्योहार पर रंग-गुलाल नहीं खेले जाते। इसके पीछे का कारण ग्रामीण बताते है। 

दुर्गापुर के इस गांव में क्यों नहीं मनाते हैं होली
गांव के एक बुजुर्गों अनुसार वर्षो पूर्व दुर्गापुर ग्राम मे एक मल्हार परिवार आया था। होली के त्योहार के अवसर मल्हार परिवार रंग-गुलाल खेलने लगे। गांव वालों ने मल्हार परिवार को रंग-गुलाल से खेलने से माना किया पर ये लोग नहीं माने। इसका परिणाम यह हुआ की पूरे गांव मे महामारी फैल गई। कई मल्हार परिवारों की जानें गयीं। कई जानवरों की भी मौत हो गई थी। बाद मे ग्रामीणों ने दुर्गापुर पहाड़ पर स्थित ‘बाबा बडराव’ के मंदिर पर जा कर क्षमा याचना की तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।


आज भी दुर्गापुर के ग्रामीण दुर्गापुर पहाड़ पर स्थित ‘बाबा बडराव’ की पूजा-अर्चना ढ़ोल-नगाड़ा बाजा कर करते है। तब से आज तक दुर्गापुर में ग्रामीण होली में रंग-गुलाल आदि नहीं खेलते। 

होली के दिन हो गई थी दुर्गापुर के राजा की हत्या
गांव के एक अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि रामगढ़ के राजा दलेल सिंह ने होली के दिन ही दुर्गापुर के राजा दुर्गा देव की हत्या कर दी।  तब से लेकर आज तक उस राजा कि आत्मा होली के दिन इलाके में भटकती है। किवदंती है कि राजा की आत्मा होली मनाने वालों को अपना निशाना बनाती है। साथ ही पंचायत पर भी इसका असर पड़ता है। आदमी की मौत के साथ-साथ जानवरों की भी मौते होने लगती है। आज तक राजा की मौत के शोक और डर से दुर्गापुर में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। 

दूसरे गांव में जाकर होली मना सकते हैं लोग
होली नहीं मनाना केवल गांव की सीमा तक ही प्रतिबंधित है। ऐसा नहीं कि गांव वाले दूसरी जगह होली नहीं खेल सकते। अगर कोई चाहे तो दूसरे गांव में जाकर होली मना सकता है और मनाते भी हैं। कोई ससुराल तो कोई मित्र के यहां तो कोई अन्य रिश्तेदार के घर जाकर होली का आनंद उठाते हैं। जो गांव में रहते हैं वे रंग छूते तक नही हैं।