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आदिवासी हॉस्टल खाली कराने पहुंची पुलिस को छात्रों के विरोध का सामना, जमीन विवाद ने पकड़ा तूल

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रांची
रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में स्थित एक पुराने आदिवासी छात्रावास को लेकर शनिवार को उस समय विवाद गहरा गया जब उसे खाली कराने पहुंचे प्रशासन और पुलिस को छात्रों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। यह मामला वर्ष 2007 से लंबित है, जिसमें छात्रावास की जमीन के मालिक और उसमें रह रहे छात्रों के बीच लम्बी कानूनी लड़ाई चल रही थी। हाल ही में हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की, लेकिन छात्रों ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कोर्ट का आदेश बना कार्रवाई की वजह
जानकारी के मुताबिक जिस ज़मीन पर छात्रावास बना है, वह खतियानी ज़मीन है। ज़मीन मालिक का दावा है कि उन्होंने मानवीयता के आधार पर कुछ छात्रों को पढ़ाई के लिए अस्थायी रूप से 20 डिसमिल ज़मीन पर रहने की अनुमति दी थी। लेकिन धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया और अतिरिक्त भूमि पर कब्ज़े को लेकर मामला अदालत तक पहुंचा। हाईकोर्ट ने ज़मीन मालिक के पक्ष में निर्णय देते हुए प्रशासन को आदेश दिया कि कब्जा दिलाया जाए। इसके तहत शनिवार को प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की।


छात्रों का आरोप: बिना सूचना आए जेसीबी चली
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व नोटिस या तैयारी का मौका दिए अचानक जेसीबी मशीन के साथ परिसर में धावा बोल दिया। उनका कहना है कि उस समय कई छात्र परीक्षा दे रहे थे, कुछ लाइब्रेरी या कोचिंग में थे। “हम फाइनल ईयर के छात्र हैं, परीक्षा चल रही है, और हमें बेघर किया जा रहा है,” एक छात्र ने कहा। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अपना सामान तक निकालने का समय नहीं मिला।
तनाव के बीच भारी पुलिस बल तैनात
विवाद की गंभीरता को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। खुद थाना प्रभारी मनोज कुमार मौजूद रहे। प्रशासन छात्रों को समझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन छात्र परिसर से हटने को तैयार नहीं हैं। कुछ छात्र “दलाल वापस जाओ” और “हम आतंकवादी बनेंगे” जैसे उग्र नारे लगाते हुए प्रशासन की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बता रहे हैं।


छात्रों की मांग: निष्पक्ष जांच और दलालों पर कार्रवाई
छात्रों ने आरोप लगाया कि इस ज़मीन विवाद में कुछ बाहरी तत्व या कथित दलाल शामिल हैं जो फर्जी तरीके से ज़मीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि ज़मीन जिन लोगों के नाम है, वे इस क्षेत्र के निवासी नहीं हैं। छात्रों की मांग है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो, कथित दलालों की पहचान की जाए और छात्रों को न्याय दिया जाए। 
अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस संवेदनशील मामले को कैसे संभालता है। एक ओर छात्र अपने अधिकार और भविष्य की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर ज़मीन मालिक कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अपनी ज़मीन वापस पाने की मांग पर अड़े हैं। प्रशासन के लिए यह संतुलन साधना एक कठिन चुनौती बन गया है।

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