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Ranchi : गर्मी शुरू होते ही झारखंड में गहराया बिजली संकट, 10-12 घंटे तक हो रही कटौती

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रांची: 

गर्मी बढ़ने के साथ ही झारखंड में बिजली की आंख-मिचौली शुरू हो गई है। बिजली संकट गहराने से उपभोक्ता परेशान हैं। घंटों तक बिजली कटौती की जा रही है। हालात कुछ ऐसे हैं कि राज्य के कुछ इलाकों में 10-12 घंटे तक बिजली काटी जा रही है। ये भी सही है कि गर्मी में बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन उस हिसाब से आपूर्ति नहीं की जा रही है। उर्जा संचरण निगम का कहना है कि राज्य में मौजूदा समय में प्रतिदिन 1500 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन तनी उपलब्धता है। 

बिजली की उपलब्धता महज 1200 मेगावाट ही
उर्जा संचरण विभाग का कहना है कि मौजूदा समय में राज्य में बिजली की उपलब्धता महज 1100 से 1200 मेगावाट ही है। इस प्रकार रोजाना 300 मेगावाट बिजली की कमी है। बिजली वितरण निगम द्वारा जो बिजली आपूर्ति की जा रही है उसके बदले राजस्व की वसूली 60 फीसदी होती है। बिजली खरीद का व्यय ज्यादा है, वहीं वसूली उससे कहीं कम है। निगम दूसरे स्त्रोतों से बिजली खरीद की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। अधिकारियों का ये भी कहना है कि बिजली आपूर्ति में कमी की वजह से प्लांटों में बिजली की कमी है। 

झारखंड का अपना जेनरेशन प्लांट नहीं है
दरअसल, राज्य में अपना जेनरेशन प्लांट नहीं है। राज्य में बिजली संकट का यही मुख्य कारण है। पहले राज्य को अपने स्त्रोतों से बिजली मिलती थी। पतरातु थर्मल की अहम भूमिका इसमें थी लेकिन पतरातु थर्मल में निर्माण कार्य जारी है। ये एनटीपीसी के साथ संबंद्ध होने जा रहा है। ऐसे में यहां से बिजली की आपूर्ति फिलहाल बंद है। टंडवा में भी एनटीपीसी का काम जारी है। इसे शुरू होने में अभी 3 साल का लंबा वक्त लगेगा। टीटीपीएस से भी बिजली आपूर्ति आये दिन बंद रहती है। सिकदरी हाइडल पॉवर प्लांट भी पानी की कमी की वजह से बंद है। 

पॉवर प्लांट में तकनीकी खराबी की वजह से मुश्किल
डीवीसी चंद्रपुरा पावर प्लांट में तकनीकी खराबी है। यहां से भी बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है। राज्य में 30 फीसदी तक लोड शेडिंग हो रही है। निगम आधुनिक पॉवर प्लांट, इनलैंड और सेंट्रल पुल से निर्मित बिजली की आपूर्ति की जा रही है। निगम ने बताया कि जेबीवीएनएल अलग-अलग स्त्रोतों से तकरीबन 550 करोड़ रुपये की बिजली खरीदता है। निगम को राजस्व 400 करोड़ के आसपास मिल रहा है। पहले हर महीने 300 करोड़ रुपये की वसूली होती थी। वसूली में कमी का भी असर प्रभाव पड़ा है।