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उपाय : झारखंड में संकट: पानी बचाएं और इस तरह करें जल संग जग जगमग

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रांची:

जल बिना जग सूना। यह महज़ कहावत ही नहीं है, हक़ीक़त है। क्योंकि पानी ही तो ऑक्सीजन है, जब यही न मिले तो सांस को थम ही जाना है। इसकी आशंका पिछले कई सालों से मौसम वैज्ञानिक दुनिया को चेता रहे हैं। 2019 में नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2030 तक देश में कई शहरों में पानी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा। भारत की 40 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी नहीं होगा। इस संकट से झारखंड और बिहार भी बच नहीं सकेंगे। कुछ दिनों बाद गर्मी दस्तक देने लगेगी, इस खबर में जानते हैं कि जल का संरक्षण कैसे किया जाए। 

 

 

रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दर बढ़ानी होगी

आपको बता दें कि अभी पूरे झारखंड के सिर्फ शहरी इलाके में 20% रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो रहा है। शहरी इलाके  में यह आंकड़ा 98% पहुंच जाए तो 354 अरब लीटर पानी बचा लेंगे, जो हमारी शहरी जरूरत पूरा कर सकता है। क्योंकि झारखंड की आबादी 3.19 करोड़ है। एक व्यक्ति  की एक दिन में 135 लीटर की जरूरत से सालभर में राज्य को 1570 अरब लीटर पानी की जरूरत होती है और 24 % शहरी आबादी के अनुसार लगभग 20 % घरो में हार्वेस्टिंग के अनुसार लगभग 2.40 लाख घरो के ये सिस्टम जारी है।

 

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बचाया जा सकता है 72 अरब लीटर पानी

अनुमान के मुताबिक 100 वर्ग मी. छत वाले घर से 3 लाख लीटर पानी प्रति वर्ष हार्वेस्टिंग से बचता है। ऐसे में 2.40 लाख घरों से 72 अरब लीटर पानी को बचाया जा सकता है। तब शहरी आबादी को 354 अरब लीटर पानी की जरुरत होती है , जो कि 98% घरों में हार्वेस्टिंग से आपूर्ति कर सकती है। अगर सभी 100% शहरी घरों में हार्वेस्टिग कर दें तो जरूरत के बाद भी 6 अरब ली. पानी बच जाएगा।  अगर हम ऐसा करते हैं तो शहरी इलाके कि जल आपूर्ति आराम से की जा सकती है। 

 

मिसाल बनी लौह नगरी

निति आयोग के अनुसार जमशेदपुर में10 सालो में सबसे अधिक पानी की किल्लत होगी। लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग ने यहां कमाल दिखाया है। परसुडीह का आदिवासी बहुल प्रधान टोला में  छह साल पहले गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मचता था। लेकिन आज की बात करें तो  इस जगह पर मात्रा 70 फीट की खुदाई में ही प्रचुर पानी मिल जाता है। यह कमाल यहां के लोगों ने अपने तरीके से विकसित किए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से कर दिखाया है। इस जगह पर 25 - 30  खपड़ैल घरों वाली इस आदिवासी बहुल बस्ती का हर शख्स बूंद-बूंद पानी बचाता है। सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। यहाँ के लोगो के अनुसार बरसात  के दिनों में  हर दिन इस सिस्टम में 20 हजार लीटर से भी अधिक पानी जमा होता है। अगर बारिश जयदा होती हैं तो थो पानी की मात्रा 30 हज़ार लीटर हो जाती है।

 

यह कॉपी प्रशिक्षु अनु यादव की बनाई हुई है।