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इको टूरिज्म हब बनने की राह पर सारंडा, गूगल मैप इंटीग्रेशन पर लाने की कवायद 

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द फॉलोअप डेस्क 

एशिया के सबसे घने साल वृक्ष के सारंडा जंगल जल्द को जल्द ही इको टूरिजन हब के तौर पर विकसित किया जायेगा। इसकी कवायद सारंडा के वन विभाग द्वारा शुरू कर दी गयी है। ऐसे में अब पर्यटकों के दृष्टिकोण से इसे तैयार कराया जा रहा है। इसके तहत सारंडा के घाघरथी में सस्पेंशन ब्रिज व किरीबुरू में ट्रीहाउस बनाया गया है। दरअसल, सारंडा की सुंदरता विश्व स्तरीय है। अब इसे संवारने की पहल विभाग की ओर से की जा रही है। इसके तहत अब इसे डिजिटल माध्यमों में लाने, ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा के साथ ही गूगल मैप इंटीग्रेशन पर लाने की पहल की जा रही है। जिसका मुख्य जंगल और जन दोनों को सुरक्षित करना है।

ऐसे में अब प्रकृतिक संपदाओं से लबरेज साल वृक्ष जंगल इको टूरिज्म हब के रूप में में झारखंड का नया चेहरा होगा। सारंडा के कायाकल्प की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। इसके तहत किरीबुरु से 9 किमी दूर करमपदा जाने वाले रास्ते पर आयरनओर के लोडिंग प्वाइंट के पास घाघरथी झरना और मंगलाहाट पुहाड़ी को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा रहा है। किरीबुरु में ट्री हाउस, विला, कैफेटेरिया और घाघरथी झरना के आसपास में सस्पेंसन  ब्रिज और कॉटेज आदि का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही सारंडा के किरीबुरु स्थित मंगलाहाट पहाड़ी पर वन विभाग की ओर से कॉटेज का निर्माण कराया जा रहा है। इसके तहत बड़ा विला और ट्री हाउस का निर्माण कराया जा रहा है। यहां 12 आलीशान कॉटिज व कैफिटेरिया बनाने की योजना पर काम चल रहा है। वहीं, किरीबुरु स्थित वन विभाग कार्यालय के पीछे की पहाड़ी को इको टूरिज्म कॉम्प्लेक्स बनया जा रहा है। 

बता दें कि घाघरथी झरना प्राकृतिक खूतसूरती और ऊंची पहाडियों के बीच बहता है। जो कि अपनी कल-कल बहती धाराओं से यहां आने वाने पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। यहां छह खूबसूरत कॉटेज का निर्माण कराया जा रहा है। स्तन ही 100 लोगों के बैठने वाला कैफेटेरिया और दस ट्रीटंक हाउस बनेंगे। सस्पेंशन ब्रिज और लकड़ी का पुल बन रहा है। झरने के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों और सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण हो चुका है।


 

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