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कटाक्ष : "मेरे महबूब ने वादा किया है पांचवे दिन का...सुन लिया होगा दुनिया 4 दिन की है", CM की स्पीच पर सरयू रॉय का तंज

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रांची: 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुधवार को सदन में दिए गये भाषण पर निर्दलीय विधायक सरयू रॉय ने तीखा कटाक्ष किया है। सरयू रॉय ने ट्वीट के जरिये मुख्यमंत्री के भाषण पर तंज कसा है। हालांकि, सरयू रॉय के ट्वीट को देखने पर एकबारगी लगता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री और उनके भाषण की तारीफ की है, लेकिन जैसे ही निगाह उनके पोस्ट के निचले हिस्से में लिखे एक शेर पर जाती है, समझ आ जाता है कि उन्होंने कितनी गहरी बात की है। 

सरयू रॉय ने आसिफ रिजवी का शेर कोट किया
सबसे पहले यही जान लीजिए की सरयू रॉय ने क्या ट्वीट किया है। सरयू रॉय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टैग करते हुए लिखा कि विषयवस्तु से सहमत अथवा असहमत होने की गुंजाइश के बावजूद विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आज का भाषण आत्मविश्वास से भरा था। इसे सुनकर मुझे जनाब आसिफ रिजवी का निम्नांकित शेर याद आया। 'मेरे महबूब ने वादा किया है पांचवे दिन का। किसी से सुन लिया होगा कि दुनिया चार दिन की है। निश्चिंत रूप से सरयू रॉय ने मुख्यमंत्री द्वारा रोजगार और विकास जैसे मुद्दों पर किए गये वादों पर टिप्पणी की है। 

बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबोधन
दरअसल, झारखंड विधानसभा का बजट सत्र अपने आखिरी चरण में है। बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन को संबोधित किया। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कई बातें ऐसी कहीं, जिस पर सवाल खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने कभी भी 5 लाख नौकरी की बात नहीं कही थी। मैंने कहा था कि 5 लाख रोजगार देंगे। जबकि, 28 अगस्त 2019 का उनका ट्वीट, झामुमो का घोषणापत्र या फिर सीएम की चुनावी रैलियां। आप कहीं भी देख लें, मुख्यमंत्री ने प्रतिवर्ष 5 लाख नौकरी देने की बात की थी। नियुक्ति वर्ष पर भी सीएम ने भ्रामक बात कही। 

1932 के खतियान पर सीएम का विवादित बयान
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार निकट भविष्य में और निकट भविष्य मतलब ये नहीं कि 2025 में बल्कि बहुत जल्द 1 महीने में 20 हजार युवाओं को नियुक्ति देने जा रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति का वादा किया था। बुधवार को सदन में सीएम ने कहा कि किसी भी कानून के जानकार से पूछ लीजिए। 1932 के आधार पर स्थानीय और नियोजन नीति संभव ही नहीं है।