पूर्वी सिंहभूम:
गर्मी का सितम जारी है। तापमान रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है। इस बीच झारखंड में एक ऐसा स्कूल भी है जहां 150 बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं है । मामला पूर्वी सिंहभूम जिला के अति-नक्सल प्रभावित गुड़ाबांधा प्रखंड रेरुआ गांव का है। गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को पेयजल के लिए रोज संघर्ष करना पड़ता है। बच्चों को रोजाना आधा किमी दूर जलमीनार तक जाना पड़ता है, तब कहीं जाकर उनकी प्यास बुझती है। बच्चे घर से ही पानी की बोतल लाते हैं।
कड़ी धूप में पानी लाने जाना पड़ता है
बच्चों ने बताया पूरे दिन में उन्हे कम से कम 4 बार पानी के लिए कड़ी धूप में आधा किमी तक चलना पड़ता है। यहां समस्या केवल पेयजल की ही नहीं है बल्कि मध्याह्न भोजन बनाने में सहिया को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में कच्ची सड़क है। अक्सर यहां गाड़ियों की आवाजाही होती है। बच्चों को इसी सड़क से होकर पानी लाने जाना पड़ता है। कड़ी धूप में चिंता केवल बच्चों के बीमार होने की नहीं है बल्कि हादसे की भी आशंका बनी रहती है। ये दुर्भाग्य की बात है।
गांव के प्राथमिक विद्यालय में चापाकल नहीं
रेरुआ गांव में मौजूद इस प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 8वीं तक की क्लास संचालित होती है। बच्चों की संख्या तकरीबन 150 है। स्कूल में चापाकल है लेकिन उससे मटमैला और बदबूदार पानी निकलता है। स्कूल के शिक्षक चंपाई हांसदा ने बताया कि स्कूल में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई बार विभाग, जनप्रतिनिधि और प्रखंड विकास पदाधिकारी से गुहार लगा चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हुई। शिक्षा समिति के सदस्य भी प्रशासनिक रवैये से आक्रोशित हैं।
ग्रामीणों ने विधायक से की चापाकल की मांग
स्कूल परिसर में चापाकल और जलमीनार की सख्त जरूरत है। यदि स्कूल में पेयजल की अच्छी सुविधा मिलेगी तो बच्चों को रोजाना बार-बार आधा किमी की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन से भी ग्रामीणों ने स्कूल में चापाकल लगवाने की गुहार लगाई है। उम्मीद यही होगी कि बच्चों की इस समस्या का त्वरित समाधान तलाशा जाये।