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लोकसभा विशेष : मोदी लहर में भी कैसे दुमका में अजेय रहे शिबू सोरेन, इस बार किसका पलड़ा भारी

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सूरज ठाकुर

द फॉलोअप लोकसभा विशेष में आज कहानी उस दुमका लोकसभा सीट की जो झारखंड मुक्ति मोर्चा का अभेद्य किला रहा है। दुमका जहां से दिशोम गुरु शिबू सोरेन 8 बार सांसद बने। वही दुमका जहां शिबू सोरेन ने लगातार 4 बार चुनाव जीता। दुमका जो झारखंड की सियासत के 2 दिग्गजों बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन की दिलचस्प भिड़ंत का गवाह रहा। दुमका, जहां शिबू सोरेन 2019 में हारे भी तो उस सुनील सोरेन से जिनको उन्होंने ही सियासत का ककहरा सिखाया था। तो चलिए, दुमका लोकसभा की यात्रा पर।

झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन 

दुमका लोकसभा की हमारी यात्रा वर्ष 2004 के आम चुनाव से शुरू होगी...

2004 का आम चुनाव इसलिए भी खास था क्योंकि यह झारखंड गठन के बाद प्रदेश में पहला आम चुनाव था। केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पहली बार आदिवासी मामलों का मंत्रालय बनाया था। आदिवासी बहुल दुमका में जीत या हार भविष्य के झारखंड का खाका खींचने वाली थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन चुनावी मैदान में थे वहीं सामने खड़े थे बीजेपी के सोनेलाल हेम्ब्रम।

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2004 में दुमका में मतदाताओं की कुल संख्या 10 लाख 83 हजार 200 थी। 5 लाख 69 हजार 293 पुरुष मतदाता थे जबकि 5 लाख 13 हजार 961 महिला वोटर। हालांकि, मतदान में केवल 57.7 फीसदी यानी 6 लाख 25 हजार 43 वोटर्स ने ही हिस्सा लिया। शिबू सोरेन 3 लाख 39 हजार 542 वोट लाकर विजेता रहे। उनको 54.3 फीसदी वोट मिला। बीजेपी के सोनेलाल हेम्ब्रम 2 लाख 24 हजार 527 और 35.9 फीसदी वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे। बहुजन समाज पार्टी के बैजनाथ मांझी तीसरे नंबर पर रहे। दुमका में तो कमल नहीं खिला, देश में भी बीजेपी को करारी हार मिली। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की केंद्र की सत्ता से विदाई हो गई। इस हार के बाद भारतीय जनता पार्टी का केंद्र की सत्ता से वनवास अगले 1 दशक तक यानी 2014 तक जारी रहा। हालांकि, दुमका में शिबू सोरेन की जीत का जो सिलसिला 2002 के मध्यावधि चुनाव से शुरू हुआ था वह 2014 तक जारी रहा। 

2009 के आम चुनाव में एनडीए की कमान लालकृष्ण आडवाणी के हाथों में थी। बीजेपी ने झारखंड के दुमका और गोड्डा लोकसभा सीटों पर नए प्रत्याशियों को मौका दिया। गोड्डा में अब निशिकांत दुबे पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी थी तो वहीं दुमका में कभी शिबू सोरेन के परम शिष्य रहे सुनील सोरेन को मौका दिया गया। इस बार तीसरे पक्ष के रूप में झाविमो मैदान में था। 

लोकसभा चुनाव 2009 में झाविमो भी था मैदान में
1998 और 1999 में लगातार 2 आम चुनावों में शिबू सोरेन को मात देने वाले बाबूलाल मरांडी अब झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो थे और उन्होंने अपने इस पुराने प्रतिद्वंदी को मात देने का जिम्मा रमेश हेम्ब्रम को सौंपा। 2009 के आम चुनावों में 11 लाख 28 हजार 361 में से 6 लाख 22 हजार 736 वोटर्स ने मतदान किया। झामुमो सुप्रीम शिबू सोरेन 2 लाख 8 हजार 518 वोट लाकर चुनाव जीते। उनको 33.5 फीसदी वोट मिला। बीजेपी के सुनील सोरेन को 1 लाख 89 हजार 706 वोट मिला। झारखंड विकास मोर्चा के रमेश हेम्ब्रम को 64 हजार 528 वोट मिला। दुमका में सुनील सोरेन झामुमो का किला नहीं भेद पाए लेकिन गोड्डा में निशिकांत दुबे ने जरूर कमल खिला दिया। एक बात बीजेपी के पक्ष में गई थी।

दरअसल, 2009 के आम चुनावों में शिबू सोरेन को 33.5 फीसदी वोट मिला वहीं सुनील सोरेन को 30.5 फीसदी। 2004 के मुकाबले दुमका में बीजेपी और झामुमो में जीत-हार का अंतर काफी कम हो गया था। 2004 में अंतर 18.4 फीसदी वोटों का था जो 2009 में 3 महज 3 फीसदी रह गया। 

2014 में मोदी लहर के बावजूद जीते दिशोम गुरु शिबू सोरेन
2014 में हालात पूरी तरह से बदल चुके थे। राष्ट्रीय राजनीति में भारी उथल-पुथल हुआ था। अन्ना आंदोलन के बाद देश का सियासी मिजाज बदला हुआ था। लोग बदलाव चाहते थे और तभी आम चुनावों में बीजेपी ने गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम कैंडिडेट के रूप में लॉन्च किया। इस बदलाव को मोदी लहर का नाम दिया गया। हालांकि, देशभर में विपक्ष को रौंद डालने वाली एनडीए दुमका में झामुमो का किला नहीं भेद पाई। 2014 के आम चुनाव में भी शिबू सोरेन अजेय रहे। 

बीजेपी ने सुनील सोरेन को फिर से मौका दिया। झारखंड विकास मोर्चा की ओर से इस बार खुद बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन को चुनौती देने के लिए चुनावी मैदान में उतरे। हालांकि, इसका कुछ खास फायदा नहीं हुआ। शिबू सोरेन ने फिर से दुमका फतह कर लिया। शिबू सोरेन को 3 लाख 35 हजार 815 वोट मिले। वह 37.2 फीसदी वोट लाकर जीते। सुनील सोरेन को 2 लाख 96 हजार 785 वोट मिला। वह 32.9 फीसदी वोट लाए। बाबूलाल मरांडी को महज 17.5 फीसदी वोट मिला। ऐसे समझिए कि 1998 और 1999 में लगातार 2 बार शिबू सोरेन को हराने वाले बाबूलाल 2014 में चुनौती भी पेश नहीं कर पाए। 

2019 लोकसभा चुनाव में शिष्य से हार गए गुरुजी
2019 के आम चुनाव में बीजेपी को 303 सीटों के रूप में प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। इस बार की मोदी लहर, दुमका में झामुमो का किला ढहा ले गई। 2019 के आम चुनाव में दुमका में भारतीय जनता पार्टी के सुनील सोरेन 4 लाख 84 हजार 923 वोट लाकर कमल खिलाने में कामयाब रहे। 

2002 के मध्यावधि चुनाव के बाद से चला आ रहा झामुमो के जीत का सिलसिला टूट गया। शिबू सोरेन को 4 लाख 37 हजार 333 वोट मिले। गौर करने लायक बात यह है कि इस बार बाबूलाल मरांडी का झारखंड विकास मोर्चा यूपीए गठबंधन का हिस्सा था। बाबूलाल मरांडी ने खुद शिबू सोरेन के लिए चुनावी सभाएं की और उनके लिए वोट मांगे। दो धूर प्रतिद्वंदियों का यूं साथ में मंच साझा करना झारखंड के चुनावी राजनीति के इतिहास में बेहद दिलचस्प था। बीजेपी जीती लेकिन जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं था। अब 2024 है। शिबू सोरेन राज्यसभा में हैं। काफी बुजुर्ग हो चुके हैं और अक्सर बीमार भी रहते हैं। जाहिर है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा किसी नए क्षत्रप की तलाश करेगा। बीजेपी के तरफ से सुनील सोरेन ही मैदान में होंगे, इसकी गारंटी नहीं है। 

शिबू सोरेन के नाम दुमका से सर्वाधिक जीत का रिकॉर्ड
काफी संभावना है कि शिबू सोरेन इस बार आम चुनावों में हिस्सा न लें। हालांकि, सियासत में कुछ भी तय नहीं है। बीजेपी भी शायद नया क्षत्रप तलाशे। कुछ भी हो, दुमका का मुकाबला इस बार और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाला है। दुमका, झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए प्रतिष्ठा तय करने वाला सीट रहा है तो वहीं बीजेपी इसे जीतकर झामुमो का मनोबल तोड़ने का इरादा रखती है। 

शिबू सोरेन दुमका से 8 बार सांसद रहे। संसदीय चुनाव में यह भी एक रिकॉर्ड है। शिबू सोरेन दुमका से सबसे पहले 1980 में चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 में यहां जीत हासिल की। 2002 के मध्यावधि चुनाव से 2014 के आम चुनाव तक लगातार 4 बार जीते। शिबू सोरेन को यहां पहली बार 1984 में कांग्रेस के पृथ्वीचंद्र किस्कू ने हराया था। इसके बाद 1998 और 1999 में लगातार 2 बार बाबूलाल मरांडी ने उनको हराया। फिर आखिरी बार 2019 में शिबू सोरेन, सुनील सोरेन से हारे। आजादी के बाद किसी एक लोकसभा क्षेत्र का 30 साल से भी ज्यादा समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले शिबू सोरेन एकमात्र सांसद हैं। हालांकि, इस बार दुमका की सियासत में बहुत कुछ बदलेगा। देखते जाइये। 

दुमका लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटे हैं
चलिए,आखिर में यह भी जान लेते हैं कि दुमका लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की कितनी सीटें। किस सीट पर किस पार्टी के विधायक हैं। 

दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीट है। दुमका विधानसभा से बसंत सोरेन विधायक हैं। शिकारीपाड़ा से निलन सोरेन विधायक हैं। जामताड़ा से कांग्रेस के इरफान अंसारी विधायक हैं। सारठ से बीजेपी के रणधीर सिंह विधायक हैं। नाला से झामुमो के रवींद्रनाथ महतो विधायक हैं वहीं जामा से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सीता सोरेन विधायक हैं। आंकड़ा देखिए। 6 में से 4 विधानसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा काबिज है। केवल सारठ ही बीजेपी के खाते में है। वहीं जामताड़ा कांग्रेस के हिस्से में है। 

अगली कड़ी में आपके लिए लाएंगे धनबाद लोकसभा सीट की कहानी...