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राज्य सरकार ने कहा- 30 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट का नया भवन कर देंगे हैंडओवर

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द फॉलोअप डेस्कः 
रांची के धुर्वा में नये झारखंड हाईकोर्ट भवन का निर्माण हो रहा है। निर्माणाधीन भवन एवं उसमें वकीलों के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन ने जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसपर आज सुनवाई हुई। आज की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। सरकार ने कहा कि नया भवन हाईकोर्ट को 30 अप्रैल को ट्रांसफर किया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 4 मई को है। आज की सुनवाई में भवन निर्माण सचिव कोर्ट में उपस्थित थे। सरकार ने कहा कि 30 अप्रैल तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा और हाई कोर्ट को हैंडओवर कर दिया जाएगा। 


समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट 
खंडपीठ ने कहा कि एसोसिएशन की जो भी समस्याएं हैं उसे हाईकोर्ट की कमेटी और एसोसिएशन मिलकर सुलझा लेंगे। पूर्व की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं की चार सदस्यीय समिति ने नए हाई कोर्ट भवन में उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा कर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपा था। इसके बाद कोर्ट ने संबंधित पक्षों को आपस में बातचीत कर अधिवक्ताओं की समस्याओं का हल निकालने का निर्देश दिया था।

इससे पहले की सुनवाई में भवन निर्माण विभाग द्वारा दायर शपथ पत्र पर कोर्ट ने असंतोष जताया गया था। इसमें नए हाईकोर्ट भवन में सुविधाओं के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिक में नए भवन में वकीलों के लिए 1000 चेंबर, महिला अधिवक्ताओं के लिए सुविधा लाइब्रेरी, सहित कई सुविधा दिलाने की मांग है। 

2015 से बन रहा नया बिल्डिंग
गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ था। वर्ष 2018 तक कार्य पूरा कर लिया जाना था लेकिन वर्तमान में 2023 चल रहा है। पूर्व में निर्माण की लागत 366 करोड रुपए थी लेकिन काम 267 करोड़ में दिया गया। फिर इसकी लागत 697 करोड रुपए तक बढ़ा दी गई। हालांकि इसके लिए सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति नहीं ली गई। बिना टेंडर किए पूर्व में कार्यरत संवेदक को कार्यभार और लागत में वृद्धि से योजना में गड़बड़ी का आरोप लगा था। इसके बाद हाईकोर्ट के समक्ष निर्माण की प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का मामला दायर किया गया। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर जल्द निर्माण कार्य करने का आदेश दिया था। झारखंड हाई कोर्ट का नया भवन करीब 8 एकड़ भूमि पर बन रहा है। उच्च न्यायालय की ग्रीन बिल्डिंग का दायरा लगभग 10 लाख वर्ग फीट है। 

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