रांचीः
आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि तमाम आंकड़े बताते हैं राज्य में विधि व्यवस्था बेकाबू हो गई है। लोगों का विश्वास खत्म हो गया है। यह हालत तब है जब गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि कानून व्यवस्था बहाल करना सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। इस राज्य में संगठित और असंगठित अपराध दोनों बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस फाइलों के मुताबिक इस साल के मई महीने तक यानी 5 महीने में हत्या की 705 और बलात्कार की 666 घटनाएं हुई हैं। जबकि अपहरण के 694, डकैती के 44 और लूट-छिनतई के 270 मामले दर्ज किए गए हैं। इन 5 महीने में पूरे राज्य में 25765 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं।
अपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही है
नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म, हत्या और प्रताड़ना की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। कई घटनाओं को लेकर पूरे राज्य में उबाल है और लोगों का कानून व्यवस्था से विश्वास उठ गया है। कई मामले की नजाकत को देखते हुए उच्च न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी की है। जबकि राजभवन ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर में सबसे ज्यादा दंगे झारखंड में हुए। कुल 387 में से 100 दंगे अकेले झारखंड में हुए हैं। यह रिपोर्ट अमन-चैन समरसता को लेकर राज्य की चिंता बढ़ाती है। सिर्फ एक साल 2021 में झारखंड में कुल 50 हजार 382 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं।
आजसू नेता ने कहा कि पिछले 29 महीनों (2020 से 2022 के मई तक) तक राज्य में दुष्कर्म की 4079 घटनाएं हुई है। जबकि 4425 हत्याएं हुईं। उन्होंने कहा कि शासन का इकबाल जब नियंत्रण में नहीं रहता है, तो कानून व्यवस्था भी बेपटरी हो जाती है। और अपराधियों, बदमाशों में खौफ खत्म हो जाता है। इसकी बानगी है कि धनबाद में मॉर्निंग वॉक पर निकले जिला सत्र न्यायाधीश की हत्या कर दी जाती है। हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले में सीबीआई जांच बैठाई गई है। दुमका में घर में सोयी हुई स्कूली बच्ची पर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला देना चतरा में एक बच्ची पर एसिड अटैक की घटनाएं से लोग हैरान परेशान हैं।
• पुरानी पेंशन योजना में कई पेंच, सरकार ने अपना बोझ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कंधों पर डाल दिया : हसन अंसारी
कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए पुरानी पेंशन योजना को लेकर आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने में कई पेंच हैं। सरकार ने बड़ी चालाकी से अपना बोझ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कंधों पर डाल दिया है। कर्मचारियों की सुरक्षा की जवाबदेही सरकार की होती है, लेकिन इसके विपरीत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने अपनी जिम्मेदारियों को अपने कंधे से उतारकर एनएसडीएल और कर्मचारियों के ऊपर डाल दिया है। पुरानी पेंशन योजना को लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी में यह साफ साफ इंकित है कि - "पुरानी पेंशन योजना में सरकारी कर्मचारियों के अंशदान की राशि एनएसडीएल पर नहीं मिलने पर कर्मचारी सरकार से इसका दावा नहीं करेंगे।" शब्दों की बाजीगरी कर झामुमो महागठबंधन की सरकार ने एक बार पुनः जनता के साथ छल किया है।
हसन अंसारी ने कहा कि वर्ष 2004 से सरकारी कर्मचारियों को पेंशन नहीं दी जा रही, तो क्या इस योजना के तहत उनका समायोजन होगा। साथ ही सरकार यह भी बताए कि इसे लेकर फंड कहां से आएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह योजना फ्री बिजली और पेट्रोल सब्सिडी योजना की तरह अधर में लटका रह जाएगा।
• किन विषयों को लेकर होगा विधानसभा का विशेष सत्र, पब्लिक डोमेन में विषयों को साझा करे सरकार : डॉ. देवशरण भगत
आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र किन विषयों को लेकर बुलाया गया है, इसे सरकार पब्लिक डोमेन में साझा करे।
उक्त बातें केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत, केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी एवं केंद्रीय महासचिव राजेंद्र मेहता तथा वरीय नेता सनत सोरेन जी ने हरमू, रांची स्थित केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही।