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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कड़े फैसले लेने पर मजबूर न करें, केंद्र सरकार ने दिया ये जवाब

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द फॉलोअप डेस्क
हमें ऐसा फैसला लेने पर मजबूर न करें, जिससे आपको परेशानी हो। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा। दरअसल हाईकोर्ट जजों का ट्रांसफर कर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति देने की सिफारिशों को सरकार द्वारा मंजूरी देने में हो रही देरी पर कोर्ट नाराज है। आप को बता दें कि एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु ने इस मामले में एक अवमानना याचिका दायर की थी। जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तलख तेवर दिखाए। जिसके बाद केंद्र सरकार ने अपने हलफनामें में जवाब दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र को भेजी गई सिफारिश अगले पांच दिन में मंजूर हो जाएगी।

क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट की कार्यक्षमता 34 जजों की है। मगर मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में 27 जज हैं। जजों की संख्या सुनिश्चित करने के लिए कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को सरकार से 5 नामों की सिफारिश की थी। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने 16 जनवरी CJI को पत्र लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। इसके बाद CJI की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए। कॉलेजियम की लिस्ट में जस्टिस पंकज मिथल चीफ जस्टिस राजस्थान HC, जस्टिस संजय करोल चीफ जस्टिस पटना HC, जस्टिस पी वी संजय कुमार चीफ जस्टिस मणिपुर HC, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद HC के जस्टिस मनोज मिश्रा के नाम शामिल था।

क्या है कॉलेजियम
संविधान में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नयुक्ति के लिए कॉलेजियम का प्रावधान है। कॉलेजियम के 5 सदस्य होते हैं। 5 सदस्यों के प्रमुख CJI होते हैं। कॉलेजियम में CJI के अलावा 4 मोस्ट सीनियर जज होते हैं। अभी कॉलेजियम में 6 जज हैं। कॉलेजियम सिस्टम साल 1993 में लागू हुआ था।