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गोड्डा में अभिषेक आनंद झा के नामांकन से बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन बढ़ी, जीत का किया दावा

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड का सबसे हॉट सीट गोड्डा लोकसभा का चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ भाजपा के निशिकांत दुबे मैदान में पसीना बहा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस कोटे के उम्मीदवार प्रदीप यादव चुनाव प्रचार में लगे हैं। दोनों ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था लेकिन अभिषेक आनंद झा के नामांकन दाखिल करने से अब मुकाबला में ट्वीस्ट देखने को मिल सकता है।

अभिषेक झा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गोड्डा नामांकन दाखिल किया। अभिषेक झा एक समय में निशिकांत दुबे के बहुत करीबी थे। लेकिन अब वो इनके विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे। नामांकन के बाद अभिषेक झा ने अपनी जीत का दावा किया। नामांकन के लिए देवघर से गाड़ियों के काफिला के साथ गोड्डा पहुंचने पर क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। नामांकन के बाद गोड्डा के मेला मैदान में एक जनसभा का भी आयोजन किया। 


अभिषेक आनंद झा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री विनोदानंद झा के पपौत्र है। उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने गोड्डा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। अभिषेक आनंद झा बीजेपी के पुराने और समर्पित नेता रहे है। 2009 में मधुपुर विधानसभा सीट से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार भी बनाया था। बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में कूद गये है। 

अभिषेक आनंद झा ने कहा कि गोड्डा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी के उम्मीदवारों ने गोड्डा का विकास नहीं किया बल्कि दोनों ही नेताओं ने सिर्फ अपना विकास किया। कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप यादव को लेकर उन्होंने कहा कि वो पोडैयाहाट से लगातार विधायक है लेकिन वहां विकास का एक भी काम उन्होंने नहीं किया। वो चाहे जिस भी पार्टी में रहे हो उन्होंने सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने का ही काम किया। पोडैयाहाट में तो समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। 


वहीं बीजेपी उम्मीदवार निशिकांत दुबे को लेकर अभिषेक आनंद झा ने कहा कि वो पिछली बार सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम पर चुनाव जीतकर आये थे। उन्होंने गोड्डा संसदीय क्षेत्र का विकास करने की जगह सिर्फ अपना व्यक्तिगत विकास किया। उन्होंने बीजेपी के लोकल नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के दवाब की वजह से ही उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

अभिषेक आनंद झा के चुनाव मैदान में उतरने से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के उम्मीदवार को टेंशन इसलिए हो रहा है क्योंकि इनकी जो राजनीतिक विरासत रही है और जो एक राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में इन्होंने जो क्षेत्र में काम किया है इससे दोनों को नुकसान होने का अंदेशा है। बीजेपी के नेता होने की वजह से वह वर्तमान सांसद से नाराज चल रहे या उनके द्वारा उपेक्षित कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल सकता है जो बीजेपी के वोटबैंक में ही सेंधमारी होगी। 

वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को अभिषेक आनंद झा के पारिवारिक पृष्टिभूमि की वजह से नुकसान की आशंका है। अभिषेक के दादाजी संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके है और कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल रहे है। कांग्रेसी परिवार होने की वजह से कांग्रेस के एक बड़े वोटबैंक में उनकी पकड़ मानी जाती है, यही नहीं जिस तरह से मुखर होकर अभिषेक आनंद झा पोडैयाहाट विधायक के खिलाफ मुखर होकर चुनाव मैदान में कूदे है उससे उनको उनके गढ़ में समस्या हो सकती है। अभिषेक ने अपनी इसी ताकत की वजह से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गोड्डा संसदीय क्षेत्र से नामांकन दाखिल कर दिया है।

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