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Ranchi : द फॉलोअप की खबर पर CMO ने लिया संज्ञान, कहा- अनिता और 6 अन्य खिलाड़ियों की हरसंभव सहायता करेंगे

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रांची: 


द फॉलोअप में प्रकाशित झारखंड की रहने वाली अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर अनीता की स्टोरी पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया है। दरअसल, झारखंड की रहने वाली अनीता का चयन फीफा विश्व कप के आयोजित नेशनल कैंप के लिए किया गया है। द फॉलोअप ने इस बात को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि कैसे अनीता ने अभाव के बीच कम संसाधनों के साथ इतना बड़ा मुकाम हासिल किया। ये भी दिखाया था कि अनीता को खेल के लिए जरूरी डायट तक नहीं मिल पाता था। 

द फॉलोअप ने दिखाई थी संघर्ष की कहानी
द फॉलोअप की रिपोर्ट में इस बात को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था कि कैसे अनीता ने माड़-भात खाकर अंडर-17 फीफा महिला विश्व कप के लिए आयोजित नेशनल कैंप तक का सफर तय किया। खबर का असर ऐसा था कि नॉर्वे के पूर्व मंत्री एरिक सोलहेम ने भी इसे अपने ऑफिशियल ट्विटर से शेयर किया।

कहा कि झारखंड की एक महिला खिलाड़ी अनीता ने केवल उबला हुआ चावल खाकर मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि अनीता की मां एक कामगार है। एरिक सोलहेम ने कहा था कि अनीता की कहानी, मौजूदा समय में उस जैसे हजारों युवाओं को प्रेरणा देने का काम करेगी। 

मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिया संज्ञान
अब इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया है कि खेल विभाग अंडर-17 फीफा विश्व कप के लिए चयनित अनीता सहित 6 अन्य खिलाड़ियों को जरूरी सहायता मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिखा कि साल 2020 से ही झारखंड सरकार इंडियन फुटबॉल के साथ मिलकर खिलाड़ियों को हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है। जिक्र किया है कि जमशेदपुर में कई राष्ट्रीय टीम की मेजबानी की गई। सीएमओ ने ट्वीट में लिखा है कि सरकार राज्य के प्रतिभाशाली युवा लड़कियों और लड़कों का समर्थन करना जारी रखेगी ताकि वे नई ऊंचाई छू सकें। 

 

विश्व के लिए नेशनल कैंप में हुआ चयन
गौरतलब है कि 23 अप्रैल से 31 मई तक जमशेदपुर में अंडर-17 फीफा विश्व कप की तैयारियों के लिए नेशनल कैंप का आयोजन किया गया है। इंडियन फुटबॉल ने कैंप के लिए 33 खिलाड़ियों का चयन किया है जिसमें झारखंड की भी सात खिलाड़ी शामिल हैं। ये सभी खिलाड़ी बेहद गरीब परिवारों से आती है।

जहां इन लड़कियों को खेल के लिए जरूरी संसाधन और डायट तक नहीं मिल पाता। द फॉलोअप की खबर का असर है कि शायद अब इन लड़कियों को सरकारी सहायता मिल जाये।