द फॉलोअप डेस्क
वर्ष 2017 से रिम्स चिकित्सकों की लंबित प्रोन्नति का मार्ग अब प्रशस्त हो गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इसकी तरकीब निकाल ली है। पूर्व में दी गयी प्रोन्नति की संपुष्टि के लिए विभाग ने सह प्राध्यापक के 34 एवं प्राध्यापक के 16 छाया पदों के सृजन का प्रस्ताव तैयार किया है। विभागीय मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने इस प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति दे दी है। मालूम हो कि रिम्स में चिकित्सकों की प्रोन्नति को लेकर पिछले कई वर्षों से उहापोह की स्थिति बनी हुई है। कनीय चिकित्सकों को प्रोन्नति के बाद वरीय पद पर पदस्थापित चिकित्सकों को प्रोन्नति नहीं मिलने से असंतोष की भी स्थिति बनी हुई है। इसको लेकर रिम्स के चिकित्सक कई बार सरकार और विभाग के सामने अपनी आपत्ति जता चुके हैं। विधानसभा में भी चिकित्सकों की प्रोन्नति को लेकर कई बार मामला उठा था।
क्या है प्रस्ताव में
स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि रिम्स रांची एक स्वायत्त शासी संस्था है। जो रिम्स अधिनियम 2002 एवं रिम्स विनिमय 2014 द्वारा शासित है। साधारणतया रिम्स के प्रशासनिक विषयों पर निर्णय लेने के लिए रिम्स शासी परिषद सक्षम है। शासी परिषद की स्वीकृति के आलोक में वर्ष 2017 34 सहायक प्राध्यापकों को सह प्राध्यापक केे पद पर प्रोन्नति दी गयी थी। उक्त प्रोन्नति से कोई वित्तीय भार नहीं पड़ा था। क्योंकि सभी प्रोन्नत चिकित्सक पूर्व से ही प्रोन्नत पद के समान अथवा इससे अधिक का वेतनमान डीएसीपी के माध्यम से प्राप्त कर रहे थे। विभागीय मंत्री के अनुमोदन से रिम्स द्वारा दी गयी उक्त प्रोन्नति की अनुशंसा को संपुष्ट किया गया था। साथ ही उक्त सभी चिकित्सक वर्ष 2017 से सह प्राध्यापक का कार्य कर रहे हैं। इसलिए वर्ष 2017 में उन्हें दी गयी प्रोन्नति पर घटनोत्तर स्वीकृति प्राप्त करने के लिए झारखंड चिकित्सा शिक्षा सेवा में वर्ष 2017 के प्रभाव से एकवारीय सुविधा के तहत सह प्राध्यापक के 34 छाया पदों का सृजन आवश्यक है। इसी तरह प्राध्यापक के 16 छाया पदों के सृजन का भी प्रस्ताव है। विभाग की स्वीकृति के बाद अब इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी और वर्षों से लंबित प्रोन्नति के इस विवाद का हल ढूंढ लिया जाएगा।