logo

कृषि विधेयक वापस नहीं हुआ तो 15 फरवरी से राज्य में खाद्यान्न की आवक बंद करेंगे व्यापारी- चैंबर

693.jpg

द फॉलोअप डेस्क
कृषि विधेयक के खिलाफ बुधवार को फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आहवान पर राज्य भर के व्यापारियों का महाजुटान हुआ। जिसमें झारखंड में कृषि शुल्क को प्रभावी किए जाने के निर्णय का पुरजोर विरोध किया गया। चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि अगर सरकार अगले एक सप्ताह के अंदर इस विधेयक को समाप्त करने का निर्णय नहीं लेती है तो 15 फरवरी 2023 से राज्य के सभी खाद्यान्न दुकानें (खुदरा एवं थोक) बंद कर दी जाएंगी। बैठक में उपस्थित राइस मिलर्स और फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने भी चैंबर अध्यक्ष के इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि 15 फरवरी से राइस मिल में प्रोडक्शन और सेल भी बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री ने कभी भी हमें बुलाकर इसपर वार्ता नहीं की। विधानसभा से इस बिल के पारित होने के बाद हमने इस विधेयक को समाप्त कराने की भरपूर चेष्टा की। मगर हमें भ्रम में रखा गया। इस विधेयक के प्रभावी होने से खाद्यान्न व्यापारियों के अलावा मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी करनेवाले सभी लोग दायरे में आएंगे। जिसका प्रभाव शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर पडेगा। इससे एक ओर जहां उपभोक्ता वस्तुएं महंगी हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी प्रभावित होंगे। हम इस बिल को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि 9 फरवरी से प्रत्येक बाजार समिति में काला झंडा लगाकर व्यापारी अपना व्यापार संचालित करेंगे। 9 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक आंदोलन की दिशा में चरणबद्ध प्रयास किए जाएंगे।

रामगढ़ में कांग्रेस के प्रत्याशी का होगा विरोध
मोरहाबादी के संगम गार्डेन में इस अव्यवहारिक विधेयक के विरोध में कांग्रेस के विधायक, मंत्री व कृषि मंत्री के निर्णयों का विरोध जताते हुए कहा गया कि व्यापारियों को वार्ता की आड़ में रखकर, पिछले दरवाजे से इस विधेयक को लाने का षडयंत्र किया गया है। इस षडयंत्र के एवज में पार्टी को व्यापारियों के आक्रोष का सामना करना पड़ेगा। यह भी बातें कही गई कि झारखंड चैंबर के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में व्यापारी रामगढ़ जाएंगे। वहां कांग्रेस के प्रत्याशी का विरोध करेंगे। जमशेदपुर से 70 व्यापारियों के साथ आए सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि व्यापारी यदि टैक्स देने से पीछे रहते, तब सरकार के जीएसटी कलेक्शन में नियमित बढ़ोत्तरी नहीं होती। हम इस शुल्क की आड़ में होने वाली अनियमितता का विरोध करते हैं। हम मानते हैं कि यहां व्यापारियों की सरकार नहीं है, मगर सरकार व्यापारियों को इग्नोर भी नहीं कर सकती।

लादा जा रहा है टैक्स
चैंबर के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि झारखंड में विपणन व्यवस्था कुछ है ही नहीं ऐसे में यह शुल्क नहीं, शुल्क के रूप में व्यापारियों और कृषकों पर एक टैक्स लादा जा रहा है। जो हमें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है। जामताड़ा चैंबर के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि व्यापारियों को भ्रम में रखकर सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है। जब कृषि प्रधान राज्यों में मंडी शुल्क समाप्त किया जा रहा है, तब झारखंड में क्यों प्रभावी किया जा रहा है। बोकारो व्यवसायी संघ के अनिल अग्रवाल ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तब इस विधेयक के विरोध में बोकारो के व्यापारी बोकारो से रांची की पैदल यात्रा भी निकालने के लिए तैयार हैं। पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि विधेयक की वापसी कराकर कृषि मंत्री ने बहुत ही नाकरात्मक निर्णय लिया है।

 

विधेयक की प्रति फाड़ दी
पूर्व अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद जालान ने विधेयक की विसंगतियों का उल्लेख करते हुए इसे जनविरोधी बताया और विधेयक की प्रति को फाड़ दी। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से इस शुल्क की वापसी कराई जा रही है। जिसका हम विरोध करते हैं। इस कानून के तहत व्यापारी को किसी भी न्यायालय में जाने की अनुमति नहीं है। इसका मतलब स्पष्ट है कि इस शुल्क की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि झारखंड चैंबर द्वारा कृषि मंत्री के कृत्य की जानकारी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी दी जाए।

किसी राजनीतिक दल को मंच का इस्तेमाल नहीं करने देंगे
पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी ने कहा कि हम इस आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल के लोगों को अपना मंच इस्तेमाल नहीं करने देंगे। हमने पूर्व में भी कई लड़ाई जीती है, इस बार भी जीतेंगे। रांची चेंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा व्यापारियों और किसानों से दोहन का रैकेट तैयार करने की कोशिश की जा रही है। ई-नाम योजना का पूरे झारखंड में फर्जीवाड़ा हो रहा है जिसकी जानकारी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्रालय को दी जानी चाहिए। पूर्व अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने इस आंदोलन को मजबूती देने के लिए राज्य के सभी सेक्टर से जुड़े व्यापारियों और उद्यमियों को जुडने की अपील की। यह कहा कि जरूरत पड़ी तो राज्य में एक दिन के लिए सारा व्यापार ठप कर दिया जाए।

कृषि मंत्री का किया पुतला दहन
रांची के पंडरा और अपर बाजार के साथ राज्य के सभी जिलों की कृषि मंडी की खाद्यान्न दुकानें पूर्णरूप से बंद रही। वहीं, बैठक के बाद कृषि मंत्री का पुतला दहन भी किया गया।