रांची
आदिवासी नेताओं ने आज रांची में गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का पुतला दहन किया। इस दौरान नेताओं ने कहा कि आज का पुतला दहन कार्यक्रम निशिकांत दुबे के उस बयान के विरोध में है जिसमें उन्होंने कहा कि झारखंड के संताल परगना के कुछ हिस्सों को तोड़कर केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए। निशिकांत दुबे आदिवासियों की घटती आबादी का हवाला देकर कहते हैं कि संथाल परगना में आदिवासियों की जनसंख्या 2000 ईस्वी में 36% थी जो अब घटकर सिर्फ 26% रह गई है। इस वजह से संताल परगना को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाना चाहिए।
नेताओं ने कहा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो निशिकांत दुबे खुद बिहार के भागलपुर के हैं, जो खुद झारखंड में चुनाव लड़ने और जीतने के लिए अपने चुनावी क्षेत्र में अपने राज्य के लोगों को बसाते हैं वो झारखंड की डेमोग्राफी बदल देते हैं। वो आज इस राज्य को तोड़ने की बात करते हैं। कहा कि झारखंड राज्य बड़े संघर्षों से बना है। न जाने कितने वीरों ने अपनी जान की आहुति देकर इस छेत्र को बचाया है। झारखंड राज्य की मांग भी 1912 ई. में शुरू हुई जब बिहार अलग हुआ था। ये राज्य नहीं, हम झारखंडियों की आस्था का भूखंड है। हम आदिवासियों के लिए हमारी जमीन से रिश्ता ठीक मछली और पानी वाला है।
वक्ताओं ने कहा कि निशिकांत दुबे से आग्रह है कि जिस पेड़ को आपने लगाया नहीं, सींचा नहीं, उसकी सुरक्षा नहीं की, उसका फल खाने आ गए। हमें उससे कोई विरोध नहीं। लेकिन आप अगर उस पेड़ को काटना चाहेंगे तो फिर आपको हमारी परंपरा के अनुसार सजा का भागीदार बनना पड़ेगा। इसलिए आपसे कहना है कि आप पूरे आदिवासी समाज और झारखंडियों से माफी मांगें और अपने शब्द वापस लें। आज के इस पुतला दहन में मुख्य रूप से युवा नेता शशि पन्ना, समाजसेवी एल्विन लकड़ा, अमरनाथ लकड़ा, संदीप उरांव, प्रतीत कच्छप, अनुपमा कुजूर और पंकज भगत एवं अन्य लोग शामिल थे।