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उत्पाद सिपाही भर्ती में हो रही छात्रों की मौतों को लेकर आदिवासी छात्र संघ उग्र, आंदोलन की चेतावनी 

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रांची 

उत्पाद सिपाही भर्ती में हो रही छात्रों की मौतों को लेकर राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ ने आक्रोश जताया है। संघ ने इस बाबत राज्य सरकार से कई मांगें की हैं, जिनसे मौतों पर रोक लगायी जा सके। संघ ने कहा है कि उत्पाद सिपाही भर्ती प्रक्रिया के दौरान 100 से अधिक छात्र बेहोश हो गये हैं। 8 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है। इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के प्रमुख कारणों में भर्ती प्रक्रिया की अनुचित व्यवस्था और सरकारी तंत्र की लापरवाही शामिल है। संघ निम्नलिखित बिंदुओं पर अपने विचार और मांगें प्रस्तुत करता है:

1. रात 12:00 बजे लाइन में लगाना अनुचित और अमानवीय
अभ्यर्थियों को रात के समय 12:00 बजे लाइन में खड़ा करना अत्यधिक तनावपूर्ण और अमानवीय है। इस प्रक्रिया के कारण अभ्यर्थियों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

2. दोपहर में दौड़ का समय अत्यधिक जोखिमपूर्ण 
दौड़ के लिए अभ्यर्थियों को दोपहर 12- 01 बजे के आसपास दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इस समय तक, वे पूरी तरह से भूखे-प्यासे और थके होते हैं, जो उनकी जान के लिए खतरा बन जाता है।

3. खराब मौसम और चिलचिलाती धूप
अत्यधिक गर्मी और खराब मौसम में दौड़ लगवाना अभ्यर्थियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। कई छात्रों की मौत का प्रमुख कारण यही असंवेदनशील व्यवस्था है।

4. दौड़ का समय सुबह के लिए तय किया जाए
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ सरकार से यह मांग करता है कि दौड़ का समय सुबह 9:00 बजे तक सीमित किया जाए, ताकि अभ्यर्थियों को कम से कम खतरे का सामना करना पड़े और वे शारीरिक रूप से सक्षम हों।

5. मृत छात्रों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी
संघ मांग करता है कि जिन छात्रों ने इस भर्ती प्रक्रिया में अपनी जान गंवाई है, उनके परिवारों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाए। साथ ही, एक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाए।
झारखंड पुलिस सिपाही की अगामी परीक्षा पूर्व की तरह प्रथम लिखित परीक्षा होनी चाहिए। उसके बाद दौड़, मेडिकल, अभियर्थी को उतना ज्यादा प्रेशर नहीं होता।  दौड़ अभ्यास का समय भी मिल जाता है। सरकार की गलत नीति का चलते छात्रों को अपनी जान गवानी पड़ रहे है। 


6. हेमंत सोरेन सरकार की विफलता
हेमंत सोरेन की सरकार पिछले 4.5 सालों से छात्रों को धोखा देती आ रही है। युवाओं की बेरोजगारी की समस्या को हल करने में इस सरकार की विफलता अब इतनी गंभीर हो चुकी है कि युवा अपनी जान गंवा रहे हैं। 
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ हेमंत सोरेन सरकार को पूरी तरह से इन मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराता है और उनसे तत्काल उचित कार्रवाई की मांग करता है। यदि सरकार हमारी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो हम उग्र आंदोलन का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे। इस बाबात राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष संगम उरांव ने पत्र जारी किया है। 


 

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