द फॉलोअप डेस्क
ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि जब पेसा नियमावली राज्य में लागू होगी पूरी तरह दुरुस्त होगी। इसमें पेसा कानून की भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। नियमावली 1996 के पेसा कानून के अनुरूप होगी। उसका लाभ राज्य के लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिलेगी। मंत्री पेसा नियमावली पर आयोजित विचार गोष्ठी सह कार्यशाला के समापन के समापन भाषण में अपना विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने कार्यशाला में शामिल प्रबुद्ध जनों को आश्वस्त किया कि उनके आए विचारों पर गंभीरता से अमल किया जाएगा। विचार गोष्ठी की प्रासंगिकता नियमावली में दिखेगी। दरअसल इस विचार गोष्ठी का उद्देश्य पेसा नियमावली को लागू करने से पहले स्टेक होल्डरों का सुझाव लेना था।
नियमावली दुरुस्त और तंदुरुस्त होगीः दीपक बिरुआ
भू-राजस्व एवं परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कार्यशाला में आए सुझावों पर अमल होगा। नियमावली में सुझावों का असर दिखेगा। नियमावली दुरुस्त और तंदुरुस्त होगी। राज्य की जनता की भावनाओं के अनुरूप नियमावली होगी।
आम सहमति से लागू होगी पेसा नियमावलीः रामदास सोरेन
स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने आश्वस्त किया कि राज्य में आम सहमति से पेसा नियमावली लागू होगी। सबके सुझावों पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
पेंशन और अबुआ आवास में खुलेआम कमीशन लिया जा रहाः शिल्पी नेहा तिर्की
कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार ने पहली बार पेसा नियमावली पर सुझाव लेने का इतना गंभीर प्रयास किया है, जिसमें विचार गोष्ठी में चार चार मंत्री शामिल हुए। उन्होंने नियमावली लागू करने से पहले दिलीप सिंह भूरिया कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करने और उसमें की गयी अनुशंसाओं के अनुरूप नियमावली बनाने का सुझाव दिया। साथ ही कहा कि पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र में पेसा कानून के अमल से ही आदिवासियों का संरक्षणऔर विकास होगा। जब आदिवासी बचेंगे तो उस गांव में रहनेवाले दूसरे वर्ग और समुदाय के लोगों का भी भला होगा। उन्होंने आगे कहा कि आज स्थिति यह है कि गावों में मुखिया पेंशन स्वीकृति में पांच सौ रुपए और अबुआ आवास की स्वीकृति में 20 हजार रुपए तक कमीशन लिया जा रहा है। इस पर अंकुश लगेगा।
इससे पूर्व नेशनल एडवाइजरी कॉउंसिल के सदस्य के राजू ने राज्य सरकार को कई सुझाव दिए। विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि गांव और सरकार के बीच की लड़ाई को समाप्त करने के लिए बातचीत के जरिए समाधान किया जाना चाहिए। एक्टिविस्ट दयामनी बारला ने ड्राफ्ट की कॉपी नहीं मिलने,उपयोग नहीं होने के पांच साल बाद भी लैंड बैंक की जमीन की वापसी नहीं होने और सरकार द्वारा संवाद नहीं करने की शिकायत की। सुधीर पाल ने बैंक, ऋण, सूद और उससे जुड़े तकनीकी विषयों पर अपने विचार रखे। शिशिर कुमार ने नियमावली की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला। ग्लैक्शन टुडू ने ग्राम सभा को कार्यपालिका का अधिकार नहीं दिए जाने पर सवाल खड़ा किया।
इससे पहले पंचायती राज सचिव विनय कुमार चौबे ने पंचायती राज अधिनियम और पेसा नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे और किन किन परिस्थितियों से गुजरते हुए नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसे लागू करने की क्या योजना है। कार्यशाला सह विचार गोष्ठी में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए।