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Jharkhand Budget 2022 : जिलों में 5 हजार मीट्रिक टन क्षमता का शीतगृह बनेगा, बजट में किसानों के लिए और क्या है! 

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रांची: 

वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि किसान और उनकी प्रगति सरकार की प्राथमिकता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गये बजट में किसानों की आय बढ़ाने तथा उनको स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कई प्रावधान किए गये हैं। सदन में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने बताया कि झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत अब तक 2 लाख 11 हजार 530 किसानों के खाते में 836 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

सिंचाई सुविधा के लिए क्या करेगी सरकार! 
झारखंड में किसानों के समक्ष एक बड़ी चुनौती सिंचाई की है। हर बार सरकार सिंचाई सुविधा के विकास की बात करती है लेकिन धरातल पर कुछ विशेष होता नहीं है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने जलनिधि योजना के अंतर्गत सभी जिलों में सिंचाई सुविधा विकसित करने के लिए 1 हजार 766 डीप बोरिंग और 1 हजार 963 परकोलेशन टैंक के निर्माण की योजना बनाई है। 

एग्री स्मार्ट ग्राम योजना में 100 गांव का चयन
कृषि के दृष्टिकोण से ग्राम विकास का लक्ष्य भी सरकार ने तय किया है। 2022-23 में एग्री स्मार्ट ग्राम योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 100 गांवों का चयन किया जाएगा। गांवों का चयन स्थानीय विधायक की अनुशंसा पर किया जायेगा। चयनित गांवों का गैप एनालिसिस कर उनको आधारभूत संरचना के विकास तथा कृषिगत योजना से आच्छादित कर समग्र विकास किया जायेगा। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने भी इसका उल्लेख किया था। 

राज्य के पशुपालकों का आर्थिक उत्थान होगा
राज्य उद्यान विकास योजना तथा गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों के आर्थिक उत्थान की योजना है। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार किसानों से उचित मूल्य पर गोबर खरीदेगी। इस गोबर का इस्तेमाल बायोगैस  और जैविक खाद्य बनाने में किया जायेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि तकरीबन 40 हजार लाभुकों को पशुपालन आधारित स्वरोजगार से जोड़ने की योजना है। पशुधन का वितरण भी किया जायेगा। पशुपालन आधारित रोजगार विकसित किया जायेगा। 

प्रतिदिन 85 लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य तय
वित्त मंत्री ने बताया कि झारखंड में दुग्ध उत्पादन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। डॉ. उरांव ने बताया कि 2021-22 में राज्य में प्रतिदिन 80 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य में प्रतिदिन 85 लाख लीटर दूध उत्पादन की योजना है। झारखंड राज्य फसल राहत योजना के जरिये कृषि उत्पाद में आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 

जिलों में 5 हजार मिट्रिक टन की क्षमता वाला शीतगृह
कृषि उपज का बर्बाद हो जाना, झारखंड की बड़ी समस्या है। पिछले साल हमने देखा कि राज्य में कई स्थानों पर मंडियों में रखा अनाज बारिश की भेंट चढ़ गया। रखरखाव नहीं होने की वजह से बड़ी मात्रा में फसल सड़ गये। लंबे समय से किसान शीतगृह की मांग कर रहे थे। इस बजट में शीतगृह का भी प्रावधान किया गया है।

वित्त मंत्री ने बताया कि कृषि उत्पादों के बेहतर भंडारण तथा विपणन के लिए राज्य के अलग-अलग जिलों में 5 हजार मिट्रिक टन की क्षमता वाला मॉडल शीतगृह बनाया जायेगा। शीतगृह निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।