गिरिडीह
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन सोमवार को गिरिडीह में मरांग बुरू के समीप मधुबन फुटबॉल मैदान में आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन में शामिल हुए। वहां उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए आदिवासी समाज को एकजुट होकर बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ संघर्ष करने का आह्वान किया।
उन्होनें कहा कि जिस माटी, रोटी एवं बेटी तथा जल, जंगल व जमीन की रक्षा के लिए वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो एवं बाबा तिलका मांझी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया था, आज वहां हमारे समाज की जमीनों पर घुसपैठिये कब्जा कर रहे हैं। हमारी बहु-बेटियों की अस्मत खतरे में है। कई गांवों से आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। यह देख कर खून खौलता है कि हमारे जाहेर थान, मांझी थान तथा अन्य धार्मिक स्थलों पर भी अवैध कब्जा हो रहा है। हम एक बार जीते हैं और एक ही बार मरते हैं, फिर डर किस बात का है? हमारी रगों में भी तो उन्हीं वीर शहीदों का खून दौड़ता है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों को झुका दिया था, और आज तो हम लोग पढ़ लिख चुके हैं। अपने अधिकारों को समझते हैं। हम आदिवासी इस भूमि के असली मालिक हैं। जब हमारे समाज में बाहर शादी करने वाली बेटियों का श्राद्ध करने की परम्परा है तो वे कौन लोग हैं, जो इन विधर्मियों को जमाई टोलों में बसा रहे हैं? उन्हें किसका संरक्षण मिल रहा है?
जब संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के तहत कोई भी गैर आदिवासी हमारी जमीनें नहीं खरीद सकता, तो फिर इतनी बड़ी संख्या में बसे ये घुसपैठिये कैसे हमारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं? चुनावों के बाद, हमलोग सभी मांझी परगना तथा पारंपरिक ग्राम प्रधानों के साथ एक बैइसी बुलाएंगे और अवैध तरीके से ली गई सभी जमीनों को उनके मूल मालिकों को वापस करवाएंगे। इस महासम्मेलन में आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों समेत हजारों आम लोग शामिल हुए।