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उत्तराखंड UCC बिल : शादी के बाद 1 साल तक तलाक संभव नहीं, पंजीकरण नहीं कराया तो लगेगा जुर्माना

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द फॉलोअप डेस्क 

उत्तराखंड (Uttarakhand) विधानसभा में समान नागरिकता विधेयक (UCC) को सीएम पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की ओऱ से पेश कर दिया गया है। बिल के पेश होते ही विपक्ष ने इसके खिलाफ हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद कुछ घंटों के लिए सदन को स्थगित कर दिया गया। सदन में चर्चा के बाद इसे राज्यपाल के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। राज्यपाल से मंजूरी के बाद इसे राज्य में कानून का दर्जा मिल जायेगा। आइये जानते हैं इस कानून के लागू हो जाने के बाद उत्तराखंड के निवासियों को किन नियमों का पालन करना होगा। 


-    सभी धर्मों में विवाह के लिए पुरुष की आयु 21 वर्ष और स्त्री के लिए 18 साल होगी। विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना         अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 20 हजार का जुर्माना लगेगा। 
-    वैवाहिक जोड़े को तलाक की अनुमित तभी मिलेगी जब विवाह का एक साल हो जायेगा। 
-    मुस्लिम जोड़ों को तलाक के लिए कोर्ट जाना होगा। तीन तलाक बोलकर तलाक नहीं दे सकेंगे। 
-    दूसरी शादी की अनुमित तभी मिलेगी जब कोर्ट ने तलाक के संबंध में अंतिम फैसला सुना दिया हो। 
-    नियमों के खिलाफ तलाक लेने पर तीन साल तक जेल हो सकती है। वहीं, वैवाहिक नियमों का पालन नहीं करने पर       छह महीने की सजा और 50 हजार तक जुर्माना हो सकता है। 
-    किसी पुरुष औऱ महिला का दूसरा विवाह तभी हो सकेगा जब दोनों के जीवनसाथी में कोई जीवित न हो। 
-    किसी विवाहित युवक या युवती ने अन्य से शारीरिक संबंध हो तो इस आधार पर तलाक मिल सकेगा। 
-    नपुंसक ने जानबूझकर बदला लेने के लिए विवाह किया है तो ऐसे में तलाक के लिए कोई भी कोर्ट अनुमति दे         सकता  है।  
-    धर्म परिवर्तन करने पर तलाक की अर्जी दी जा सकेगी। वहीं अगर पति ने अगर रेप किया हो या पत्नी किसी और से गर्भवती हो जाता है तो इस आधार पर भी तलाक मिल सकेगा। 

-    किसी भी तरह की संपति में महिला और पुरुष को बराबर का हिस्सेदार माना जायेगा। साथ ही इच्छा पत्र और धर्मज को लेकर भी कई तरह के नियम भी शामिल हैं।   
-    पति अगर नौकरीपेशा है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी पत्नी की होगी। इसके लिए उसे सरकार मुआवजा देगी।