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1 साल से सरकारी शौचालय में रह रहीं 66 साल की मिथिला, ग्राम प्रधान से घर मांगा तो मिली 'पन्नी'

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द फॉलोअप डेस्क:
 

रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की 3 मूलभूत आवश्यकताएं मानी जाती हैं। आपको बताते हैं कि जब आदमी इन बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने में असमर्थ हो तो क्या करे। 66 साल की मिथिला महतो पश्चिम बंगाल के पुरूलिया की रहने वाली हैं। मिथिला महतो किसी घर में नहीं रहती हैं बल्कि पिछले 1 साल से उनका आशियाना सरकारी शौचालय है जहां हाथ-पांव ठीक से फैला पाने तक की जगह नहीं है। 

1 साल से सरकारी शौचालय बना बुजुर्ग का ठिकाना
मिथिला, पुरुलिया जिले के सुंदरडी गांव की रहने वाली हैं। उनके पास एक समय पर कच्चा मकान हुआ करता था जो एक दिन बारिश में ढह गया। घर ढह जाने के बाद उनको आसरे के लिए भटकना पड़ा। दरअसल, वे गरीबी रेखा से नीचे आती हैं। उनके लिए अपनी बुनियादी ज़रूरतों को भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है। ऐसी स्थिति में उन्हें सिर छुपाने के लिए सरकारी शौचालय में रहना पड़ता है। वह पिछले 1 साल से यहां रह रही हैं। 4 फीट लंबा और 3 फीट चौड़ा सरकारी शौचालय जो साफ-सफाई और बीमारियों से बचने के लिए बनाया गया था। अब यह मिथिला महतो का घर है।

कुछ साल पहले मिथिला के पति की मौत हो गई
बुजुर्ग महिला के पति की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। उनकी 2 बेटियों की भी शादी हो गयी। वह दोनों अपने ससुराल में रहने लगी। तब से मिथिला अकेले रहते हैं। बताया जा रहा है कि जब उनका घर गिरा तो वह मदद के लिए अपने गांव की पंचायत में भी गईं लेकिन, उन्हें रहने का कोई ठिकाना नहीं मिला। गांव की पंचायत ने जो कुछ दिया वह था प्लास्टिक की पन्नी। तब से वह सरकारी शौचालय में रहने को मजबूर हैं जिसमें पैर फैलाने तक की जगह नहीं होती। हाथ खोलो तो दीवार से टकरा जाते हैं। 

ग्रामीण प्रधान ने कहा कि जानकारी नहीं थी
जब इस बाबत ग्राम पंचायत की मुखिया चांदमोनी कोरानुडी से सवाल किया गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी। कोरानुडी ने बताया कि उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। उनको किसी ने नहीं बताया कि एक महिला शौचालय में रह रही हैं। केवल इतना ही नहीं, चांदमोनी ने यहां तक कह दिया कि उन्हें याद नहीं कि कभी किसी महिला ने उनसे आवास भी मांगा था। वहीं, पुरुलिया जिला परिषद अध्यक्ष निवेदिता महतो का कहना है कि जब उन्हें इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने टेंट की व्यवस्था की। उन्होंने यह भी कहा कि उस वक्त वह उनके लिए घर का इंतजाम नहीं कर पाई थीं। उनके मुताबिक केंद्र सरकार ने आवास योजना का पैसा रोक दिया है। इलाके के बीजेपी विधायक का कहना है कि पंचायत सदस्य कुछ कार्रवाई कर सकते थे, लेकिन कुछ नहीं किया गया।

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