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बिहार में लागू 75% आरक्षण को पटना हाईकोर्ट में किया चैलेंज, जानें पूरा मामला

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द फॉलोअप डेस्क
बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार ने आरक्षण का दायरा 75% तक बढ़ा दिया है। इसे राज्य में लागू भी कर दिया गया है। जहां एक तरफ बिहार में इसे लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है वहीं दूसरी ओर अब ये मामला अदालत तक पहुंच गया है। बिहार सरकार के इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। एक जनहित याचिका दाखिल कर इसके संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।


संविधान के नियमों का किया गया उल्लंघन
आरक्षण के दायरे को लेकर पीआईएल दायर किया है। आरोप है कि आरक्षण की सीमा को संविधान के नियमों के विरुद्ध जाकर बढ़ाया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि संविधान में जनसंख्या के अनुपात को देखकर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। बिहार सरकार की ओर से बढ़ाया गया आरक्षण का दायरा संविधान के नियमों का उल्लंघन है।


15 प्रतिशत की वृद्धि हुई

 नई व्यवस्था में 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। पहले से जारी 60% आरक्षण में 15% की वृद्धि हुई है। इसमें एससी को 20 फीसदी, एसटी को दो फीसदी. अति पिछड़ा को 25 फीसदी और पिछड़े वर्ग को 18 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा।बता दें कि बिहार में नौकरी और शिक्षण संस्थानों में SC ST, ईबीसी,OBC को अब 65 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा।


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