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टॉप लूजर की लिस्ट में अडानी के शेयर, गंवाए 4 लाख करोड़, अमीरों की टॉप 5 सूची से हुए बाहर

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मयंक आनंदनः

गौतम अडानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे से सातवे नंबर पर आ गए हैं। कारण है 24 जनवरी को आई इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट। रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। आलम यह है की शेयर बाजार के टॉप लूजर की लिस्ट में पहले पांच शेयर अडानी ग्रुप के हैं। शुक्रवार को निफ्टी 50 पर अडानी पोर्ट्स और अडानी एंटरप्राइजेज टॉप लूजर रहे। ग्रुप को सपोर्ट करने वाले बैंकों के शेयरों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। इससे भारतीय शेयर बाजार को बड़ा झटका लगा है। बाजार शुक्रवार को तीन महीने के निचले स्तर पर आ गया। आंकड़ों की बात करें तो ग्रुप का नुकसान चार लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। आखिर अमेरिका की एक रिसर्च फर्म की रिपोर्ट में ऐसा क्या था जिसने कुछ ही दिनों में एशिया के सबसे अमीर आदमी की कमर तोड़ दी? जानते हैं इस रिपोर्ट में  

24 जनवरी को अमेरिकी मूल की इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट का नाम था “अडानी ग्रुप: कैसे दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कर रहा है”। 
दो साल की जांच के बाद निकली इस रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमे फर्जी शेल कंपनियों का इस्तेमाल कर के पैसे घुमाना, शेयरों के साथ हेराफेरी, एकाउंटिंग की गलतियां और इंसाइडर ट्रैडिंग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। 

 

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समझिए पूरा मामला

रिपोर्ट में यह दावा किया गया है की अडानी ग्रुप एक फैमिली बिजनेस है और ग्रुप के 22 अहम पदों में से 8 पर अडानी परिवार के लोग हैं। जिसके कारण वित्तीय फैसलों में परिवार का प्रभाव बहुत ज्यादा रहता है। रिपोर्ट परिवार के कई लोगों की भूमिका पर भी सवाल उठाती है। इनमे गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी और छोटे भाई राजेश अडानी शामिल हैं। रिपोर्ट की मानें तो विनोद अडानी मॉरीशस में करीबियों के साथ मिलकर कई शेल कंपनियां चलाते हैं। जिसका इस्तेमाल ग्रुप के पैसों की हेराफेरी के लिए किया जाता है। परिवार के कई सदस्य जैसे की राजेश अडानी और गौतम अडानी के जीजा समीर वोहरा जिनपर पहले धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। उन्हें ग्रुप में सीनियर पद मिलने पर भी सवाल उठाए गए हैं। 


रिपोर्ट शेयर के बदले लिए गए अडानी ग्रुप के कर्ज की बात करती है। दावा किया गया है की ऐसा कर्ज ग्रुप के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। रिपोर्ट में हिंडनबर्ग द्वारा की गई एक आरटीआई पर सेबी के जवाब का जिक्र है। जवाब में सेबी कहती है की अडानी की कई विदेशी इकाइयों पर जांच चल रही है।  रिपोर्ट में ऐसी कई इकाइयों की बात की गई है। यह इकाइयां कई देशों में फैली हैं। 
2 साल की रिसर्च की रिपोर्ट ऐसे समय पर आई जब अडानी ग्रुप 20,000 करोड़ के शेयर पब्लिक करने वाली थी। भारत के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी प्राइवेट ऑफ्रिंग है। रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे गए थे। 


रिपोर्ट पर सबसे पहली प्रतिक्रिया में ग्रुप ने रिसर्च और रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। ग्रुप ने हिंडनबर्ग पर कानूनी कार्यवाही करने की बात कही। जिसका स्वागत करते हुए हिंडनबर्ग ने कहा की अडानी चाहें तो हमारे मूल राष्ट्र अमेरिका में भी मुकदमा कर सकते हैं। 26 जनवरी को जारी बयान में फर्म ने कहा की रिपोर्ट निकलने के छत्तीस घंटे के बाद भी अडानी ग्रुप का उनके उठाए गए 88 सवालों में से एक पर भी जवाब नहीं आया है। 
 

इस दौरान अडानी ग्रुप के शेयरों के मूल्य लगातार गिरते रहे। 27 जनवरी को हिंडनबर्ग के उठाए गए सवालों के जवाब में अडानी ग्रुप ने 19 पेज की एक डॉक्यूमेंट साझा की। डॉक्यूमेंट के अंत में हिंडनबर्ग के किए गए सवालों का जिक्र होता है। कुछ सवालों को कोर्ट तो कुछ को राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) का हवाला देकर टाल दिया गया है। ग्रुप की ओर से कहा गया है की 2 साल में की गई हिंडनबर्ग की रिसर्च का डेटा 2015 से पब्लिक डोमेन में था। इसमें रिसर्च करने जैसी कोई बात नहीं है। ग्रुप ने कहा है की 27 जनवरी को पब्लिक किये गए शेयर ट्रैक पर हैं और अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। 

बताते चलें कि हिंडनबर्ग पहले भी ऐसी रिपोर्ट निकलता रहा है। साल 2020 में उसने निकोला नाम की एक ट्रक कंपनी का भंडाफोड़ किया था। कहा जाता था निकोला इलेक्ट्रिक कारों के जगत में क्रांति ला देगी। कंपनी की तुलना टेसला से की जाती थी। रिपोर्ट आने के बाद कंपनी के बंद होने की नौबत आ गई थी। कंपनी के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को कंपनी छोड़नी पड़ी, उनपर अभी भी कानूनी कार्यवाही चल रही है।