द फॉलोअप डेस्क
असम में निकाह के जरिये हुई मुस्लिम समाज में हुई शादियों को राज्य सरकार मान्यता नहीं देगी। साथ ही राज्य में तलाक के नियमों को भी बदल दिया गया है। जानकार इसे असम सरकार का UCC यानी समान नागरिकता कानून की ओर बढाया गया एक कदम मान रहे हैं। बता दें कि हाल ही में असम के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में UCC लागू किया गया है। हालांकि मुस्लिम निकाह के जरिये शादियां करेंगे, लेकिन किसी विवाद या योजनाओं का लाभ लेने के मामले में इस तरह की शादियों को मान्यता नहीं दी जायेगी। इस बाबत असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की कैबिनेट ने मुस्लिम विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन को मान्यता देने वाले अधिनियम को समाप्त कर दिया है।
क्या दलील दी सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने
सीएम बिस्वा ने इस बाबत कहा कि असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून द्वारा आवश्यक है। यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
उत्तराखंड में UCC लागू
बता दें कि उत्तराखंड में UCC लागू कर दिया गया है। इसके तहत उत्तराखंडमें लीव इन रिलेशन के दौरान हुए बच्चे को वैध माना जायेगा। उत्तराखंड में लागू हुए समान नागरिकता कानून में ये प्रावधान किया गया है। बता दें कि समान नागरिकता कानून विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस महीने के पहले सप्ताह में पेश किया। सदन में बहस के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है। इसमें लीव इन रिलेशन को लेकर कई तरह के प्रावधान और बदलाव किये गये हैं। बता दें कि UCC के तहत बनाये गये कानून राज्य के सभी निवासियों पर लागू होंगे। चाहे वे राज्य के मूल निवासी हों या न हों।
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