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नेताओं और कार्यकर्ताओं की निष्ठा परखने के लिए कांग्रेस करेगी DNA जैसा टेस्ट! इस राज्य में मची हलचल 

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द फॉलोअप डेस्क 

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की निष्ठा को परखने के लिए एक विशेष रणनीति अपनाने जा रही है। इस पहल के तहत पार्टी के प्रति सच्ची वफादारी रखने वाले कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने की योजना है। यह प्रयोग किसी डीएनए परीक्षण से कम नहीं होगा, जहां नेताओं और कार्यकर्ताओं की निष्ठा को परखा जाएगा। कांग्रेस इसे 'राजनीतिक डीएनए टेस्ट' के रूप में देख रही है, जिसमें पार्टी की विचारधारा और सिद्धांतों के प्रति समर्पण की जांच की जाएगी। जो इस कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें संगठन से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, जबकि सफल उम्मीदवारों को बेहतर पदों से पुरस्कृत किया जाएगा।

कांग्रेस के इस निर्णय की घोषणा पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने की, जिसके बाद से ही पार्टी के भीतर हलचल मच गई है। रंधावा का मानना है कि पार्टी को उन नेताओं की जरूरत है जो चुनावी समय में पाला न बदलें और संगठन की छवि को मजबूत बनाए रखें। चुनावी माहौल में कुछ नेता बागी बनकर सामने आते हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ता है। इस कारण, अब पार्टी ऐसे नेताओं की पहचान कर उन्हें किनारे करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
इसके तहत, लगातार तीन बार पार्टी की बैठक में गैरहाजिर रहने वाले नेताओं की सूची तैयार की जा रही है। यह सूची यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई जा रही है कि कौन से नेता सक्रिय रूप से पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और जनता के बीच सक्रिय रहते हैं। यह एक तरह का 'राजनीतिक डीएनए टेस्ट' होगा, जिसमें वफादारी और प्रतिबद्धता की जांच होगी।


कांग्रेस की इस पहल पर बीजेपी ने कटाक्ष किया है। भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने इसे हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने नेताओं की निष्ठा को संदेह की नजर से देख रही है, जिससे संगठन में ही असंतोष फैल सकता है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि क्या अब कांग्रेस अपने नेताओं की वफादारी के लिए 'डीएनए रिपोर्ट' मांगने लगी है?
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कई राज्यों में हार का सामना कर चुकी है। राहुल गांधी ने भी कुछ वरिष्ठ नेताओं की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए थे। इसी के मद्देनजर, पार्टी अब राजस्थान में निष्क्रिय और गैर-जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को पदों से हटाने के लिए सख्त कदम उठा रही है। इसके अलावा, बिना किसी उचित कारण के लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले नेताओं पर भी कार्रवाई की जाएगी।

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