द फॉलोअप डेस्क
योग गुरु और पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक बाबा रामदेव को 'शरबत जिहाद' टिप्पणी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने 'हमदर्द' के रूह अफजा शरबत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस शरबत की कमाई से मदरसे और मस्जिदें बनाई जाती हैं, जबकि पतंजलि के शरबत से गुरुकुल और भारतीय शिक्षा संस्थान विकसित होते हैं। इस टिप्पणी को 'हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया' ने अदालत में चुनौती दी, जिसे अदालत ने गंभीरता से लिया। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि यह बयान अनुचित है और अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देता है। अदालत ने रामदेव से पांच दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में वे प्रतिस्पर्धियों के उत्पादों के संबंध में ऐसा कोई बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी नहीं करेंगे।
बाबा रामदेव ने अदालत में आश्वासन दिया कि वह 'शरबत जिहाद' से संबंधित सभी वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत हटा लेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया था।
यह मामला इस महीने की शुरुआत में सामने आया था, जब बाबा रामदेव ने पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए एक वीडियो में दावा किया था कि एक कंपनी (जिसे व्यापक रूप से हमदर्द माना गया) अपने शरबत की कमाई का उपयोग मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के लिए करती है। उन्होंने इस प्रक्रिया को 'शरबत जिहाद' करार दिया और कहा, "यदि आप उस शरबत को पीते हैं, तो मस्जिदें और मदरसे बनेंगे, लेकिन यदि आप पतंजलि का गुलाब शरबत पीते हैं, तो गुरुकुल, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड का विस्तार होगा।" इस वीडियो को 'पतंजलि प्रोडक्ट्स' के फेसबुक पेज पर शेयर किया गया था, जिसमें कैप्शन में लिखा था, "अपने परिवार और मासूम बच्चों को 'शरबत जिहाद' और कोल्ड ड्रिंक्स के नाम पर बिकने वाले टॉयलेट क्लीनर जैसे जहर से बचाएं। केवल पतंजलि शरबत और जूस घर लाएं।"
यह मामला अब 1 मई को फिर से अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।