द फॉलोअप डेस्क
महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना को लेकर सरकार पर वित्तीय बोझ बढ गया है। मिली खबर के मुताबिक सीएजी ने एक रिपोर्ट में बताया है कि लाड़ली बहन योजना के कारण महाराष्ट्र सरकार पर 2 लाख करोड़ का बोझ बढ़ गया है। इस बीच कई महिलाओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना जताई गई है। महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने स्पष्ट किया कि यदि किसी लाभार्थी महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज होती है, तो उसके आवेदन की जांच की जाएगी। नियमों के अनुसार, जो महिलाएं पात्रता मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, उन्हें अयोग्य घोषित किया जाएगा। हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि सभी आवेदनों की जांच नहीं की जाएगी और बिना शिकायत के किसी भी आवेदन को खारिज नहीं किया जाएगा।
जो महिलाएं योजना के लिए पात्र नहीं हैं, उनमें वे शामिल हैं जिनकी आय ढाई लाख रुपये से अधिक है, चार पहिया वाहन की मालिक हैं, या अंतरराज्यीय विवाह कर चुकी हैं। इसके अलावा, जिन महिलाओं के आधार कार्ड और बैंक खाते में दर्ज नाम अलग-अलग हैं, उन्हें भी योजना से बाहर किया जा सकता है।
मंत्रिमंडल की हालिया बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री तटकरे ने जानकारी दी कि नई सरकार के गठन के बाद पात्र लाभार्थियों के खातों में दिसंबर माह की किस्त जमा कर दी गई है। कुछ महिलाओं को एक साथ छह किस्तों का भुगतान किया गया है। हालांकि, कई महिलाओं ने योजना के अंतिम दिनों में आवेदन किया था, उनके आवेदनों को स्वीकृति मिलने के बावजूद लाभ नहीं मिला है।
2 करोड़ 47 लाख लाभार्थी पिछले वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के अंतर्गत 2 करोड़ 63 लाख महिलाओं ने आवेदन किया, जिनमें से 2 करोड़ 47 लाख आवेदन पात्र पाए गए। 12 लाख 87 हजार महिलाओं के बैंक खाते आधार कार्ड से लिंक नहीं होने के कारण उन्हें चुनाव से पहले लाभ नहीं मिल सका।
अक्टूबर और नवंबर के बीच 2 करोड़ 34 लाख महिलाओं के खातों में 1500-1500 रुपये जमा किए गए। दिसंबर के लिए 1,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मंत्री तटकरे ने बताया कि जिन 12 लाख 87 हजार महिलाओं को अब तक लाभ नहीं मिला था, उनके खातों में छह माह की राशि यानी 9,000 रुपये जमा कर दिए गए हैं। विधानसभा चुनाव में इस योजना के माध्यम से महायुति सरकार को व्यापक समर्थन मिला और महिलाओं के भारी मतदान ने सरकार की सफलता में अहम भूमिका निभाई।