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झारखंड की कई नदियों में छिपा है हीरा, होगी खोज; केंद्र की हरी झंडी

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड की नदियों में हीरा खोजा जाएगा। जिसके लिए केंद्र ने हरी झंडी दिखा दी है। बता दें कि राजधानी रांची और पलामू प्रमंडलीय जिले की कई नदियों के कछार में हीरा खोजा जाएगा। फ्रांसीसी यात्री जेबी की भारत यात्रा पुस्तक के छोटानागपुर के डायमंड रिवर के पास खोजबीन की जाएगी। इसके साथ ही राजधानी रांची,गुमला, सिमडेगा,लोहरदगा,लातेहार समेत कई जिलों के नदी का सर्वेक्षण होगा। GSI ने 2019 में यह परियोजना तैयार की थी। जानकारी हो कि झारखंड के मुगल बादशाह जहांगीर की आत्मकथा के आधार पर हीरो की खोज होगी। इस आत्मकथा का नाम जहांगीरनामा है। 


झारखंड का छोटानागपुर पठार काफी समृद्ध 
खनिज संपदा के दृष्टिकोण से देश में झारखंड का छोटानागपुर पठार काफी समृद्ध है। यहां की धरती के गर्भ में मिनिरल का भंडार है। जबकि यहां की नदियों में बालू ही नही बल्कि हीरे के कण भी मौजूद हैं। विशेषज्ञों की माने तो भारत में पहला हीरा ईसा के जन्म के आठ सौ वर्ष पूर्व प्राप्त किया गया था। 16वीं शताब्दी में फ्रांसीसी जौहरी वेब्टिस तेवरनायर हीरे की तलाश में भारत आए थे। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने छोटानागपुर के नदियों में हीरे मिलने का विस्तार से जिक्र किया है। उनके अनुसार उतरी कोयल नदी के किनारे पर बसे नगर सेमुल में हीरे की खान थी। अंग्रेज इतिहासकारों ने भी अपनी पुस्तकों में लिखा है कि शंख और कोयल नदियों में हीरा निकालने के लिए एक साथ हजारों लोग काम किया करते थे। इन नदियों में आज भी लोग यदा-कदा बालू को छानते हुए देखे जा सकते हैं।


शंख नदी की तलहटी में हीरे का अकूत भंडार 
जहांगीर को पता था की शंख नदी की तलहटी में हीरे का अकूत भंडार है और वह इस भंडार को अपने कब्जे में लेना चाहता था। बादशाह जहांगीर का आदेश पाकर इब्राहिम खान ने साल 1615 में छोटानागपुर पर हमला बोल दिया। अपने सहयोगियों की मदद से इब्राहिम खान ने इस इलाके में मौजूद बहुमूल्य हीरा को अपने कब्जे में ले लिया। इतना ही नहीं मुगल शासन ने राजा दुरजनसाल को गिरफ्तार भी कर लिया। वैसे तो राजा को बारह साल की सजा हुई थी लेकिन हीरे का पारखी होने के मुगल शासन ने उन्हे बाद में रिहा कर दिया।

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