द फॉलोअप डेस्क
किसान आंदोलन के आज नौवें दिन आंदोलनकारी किसानों पर फिर से पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। मिली खबर के मुताबिक हरियाणा व पंजाब के शंभू बार्डर पर किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गये। किसान पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक आज दिल्ली कूच करने के प्रयास में है। बता दें कि इससे पहले, कल किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच हुई चौथे दौर की वार्ता नाकाम हो गयी। किसानों ने पांच साल के चार फसलों पर एमएसपी देने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को इनकार कर दिया। इधर, जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि वो किसानों से पांचवें दौर की वार्ता के लिए तैयार है लेकिन किसान आंदोलन को बंद करें।
500 संगठन दिल्ली कूच करने की कोशिश में
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों के 500 संगठन दिल्ली कूच करने के प्रयास में हैं। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार किसान आंदोलनकारी आज सुबह से ही शंभू और खनौरी बोर्डर से होकर दिल्ली जाने की तैयारी में है। इस बीच केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि केंद्र बातचीत के जरिये समस्या का समाधान चाहता हैं। हम शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं। इधर, किसान नेता सरवन पंढेर और जगदीश डल्लेवाल ने भी कहा है कि वे मांगे मनवाने के लिए हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहते। दोनों नेताओं ने आंदोलन में शामिल किसान संगठनों से अपील की है कि वे किसी तरह की हिंसा नहीं फैलाएं। दूसरी ओऱ किसान आज दोनों सीमाओं पर बख्तरबंद और भारी मशीनरील लेकर पहुंचे हैं। ताकि रास्ते में पड़ने वाली बाधाओं को तोड़ा जा सके।
क्या है किसानों की मांगें
जगदीश डल्लेवाल और सरवन पंढेर सहित अन्य किसान नेताओं ने चार दौर की वार्ता के नाकाम हो जाने के बाद फिर से दोहराया है कि वे सभी फसलों पर एमएसपी से कम किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं होंगे। उन्होंने सरकार के पांच साल वाले फार्मूले को भी मानने से इनकार कर दिया है। पिछले दिसंबर से आंदोलन कर रहे किसानों की सबसे प्रमुख मांग एमएसपी की गारंटी है। इसी के साथ किसान पेंशन और कर्ज माफी की मांग भी कर रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से आंदोलन को लेकर थोड़ी नरमी तो दिखी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला है। वहीं, केंद्र सरकार की ओऱ से कहा गया है कि किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रव फैलाने की कोशिश को नाकाम किया जायेगा। उपद्रव फैलाने वालों की पहचान कर कार्रवाई की जायेगी। दूसरी ओऱ किसानों ने भरोसा जताया है कि सरकार के साथ बातचीत में कोई न कोई हल जरूर निकलेगा।
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