मुंबई:
किसी का फोन आता है तो आप और हम सबसे पहले हलो बोलते हैं। हलो! हांजी आप कौन? लेकिन, अब हलो बोलना गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। यदि आप महाराष्ट्र में रहते हैं तो फोन उठाकर हलो नहीं बोल सकते। तो क्या बोलेंगे फिर? दरअसल, महाराष्ट्र में अब फोन आए या आप किसी को फोन करें। सबसे पहले वंदे मातरम कहना होगा। सरकार ने यही रूल बनाया है। 1 अक्टूबर यानी शनिवार को ही महाराष्ट्र सरकार ने एक रेजोल्यूशन जारी किया है। ये सरकारी आदेश है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए जारी हुआ आदेश
महाराष्ट्र सरकार के आदेश के मुताबिक अब प्रदेश का कोई भी सरकारी कर्मचारी फोन उठाकर हलो नहीं बोल पाएगा। उसे वंदे मातरम कहना होगा। सरकारी कार्यालय और जिन संस्थाओं को सरकार फंड जारी करती है, उन सभी कार्यालयों में कर्मचारियों को यही रूल फॉलो करना होगा। अब आपके मन में सवाल होगा कि ऐसा आदेश आखिर किस आधार पर जारी किया गया है?
क्यों सरकार ने हलो बोलने पर लगा दी है रोक!
दरअसल, इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार मानती है कि हलो पश्चिमी सभ्यता से आया है। सरकारी रेजोल्यूशन में लिखा है कि हलो पश्चिम यानी यूरोप से आया है। ये बेमतलब का अभिवादन है। इसका कोई सिर-पैर नहीं है। इससे लगाव या सम्मान का भाव पैदा नहीं होता। इसलिए अब हलो की जगह वंदे मातरम कहना है। वंदे मातरम संस्कृत का शब्द है। इससे देशप्रेम की भावना बलवती होगी। राष्ट्रवाद का इरादा भी मजबूत होगा। हलो की जगह वंदे मातरम ही बोलें।
2 अक्टूबर से प्रदेश में लागू हो गया सरकारी आदेश
बताया जाता है कि अगस्त महीने में जब से महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ। यानी, जब से प्रदेश में उद्धव की शिवसेना वाली सरकार गई और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना-बीजेपी की सरकार आई तभी से उपरोक्त बदलाव की चर्चा थी। बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार को प्रदेश में सांस्कृतिक मामलों का मंत्री बनाया गया। वही ये रूल लाए हैं। हलो की जगह वंदे मातरम कहने वाला ये रूल अब 2 अक्टूबर यानी आज से लागू हो गया है। हालांकि, हमारे पास ये जांचने का कोई पुख्ता स्त्रोत तो नहीं है कि कितने सरकारी कर्मचारी हलो की जगह वंदे मातरम कह रहे हैं। देखना ये भी होगा कि इस फैसले का कितना विरोध होता है?