रांची
रांची प्रेस क्लब में युवा लेखिका पूनम चौबे के उपन्यास More Than Love Felt Different का लोकार्पण एक गरिमामय समारोह में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. विनोद कुमार उपस्थित रहे। साथ ही मंच पर प्रमोद झा, रवि दत्त वाजपेयी और प्रो. विनय भरत भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। मुख्य वक्ता प्रो. विनोद कुमार ने कहा, “प्रेम के बिना साहित्य, संगीत, कला और जीवन—कुछ भी पूर्ण नहीं हो सकता। पूनम चौबे के उपन्यास में प्रेम अधूरा है, लेकिन इसी अधूरेपन में एक खास तरह की पूर्णता है। जब स्त्रियाँ प्रेम पर और अधिक लिखेंगी, तो प्रेम और अधिक सुंदर, अधिक समृद्ध होगा।”
प्रमोद झा ने कहा, “प्रेम वह विषय है जिस पर सबसे ज़्यादा लिखा गया है, और फिर भी हर बार एक नया आयाम सामने आता है। इसलिए प्रेम पर बार-बार लिखा जाना चाहिए। पूनम ने प्रेम की तलाश को इस उपन्यास का केंद्र बनाया है—यह एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है, क्योंकि अधिकांश लोग जीवन तो जी लेते हैं, लेकिन प्रेम को वास्तव में खोज नहीं पाते।”
समारोह के अंत में उपन्यास पर लेखिका पूनम चौबे से प्रो. विनय भरत ने विस्तृत संवाद किया। उन्होंने कहा, “यह उपन्यास नई पीढ़ी को ध्यान में रखकर लिखा गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें छोटे-छोटे अध्याय हैं, जो युवाओं को सहज रूप से जोड़ते हैं।”
संवाद के दौरान लेखिका पूनम चौबे ने बताया, “मेरे उपन्यास की मुख्य पात्र विशाखा पांच लोगों से प्रेम करती है, लेकिन वह द्रौपदी नहीं है—वह कहीं अधिक सीता के निकट है। उसका प्रेम आत्मिक है, देहात्मक नहीं। यही इस कहानी की आत्मा है।” रवि दत्त वाजपेयी ने लेखिका की सराहना करते हुए कहा, “इतनी कम उम्र में पूनम चौबे ने प्रेम जैसे विषय पर इतनी संवेदनशीलता से लिखा है, यह सुखद आश्चर्य से भर देता है। उपन्यास में स्त्री-विमर्श का एक सूक्ष्म, लेकिन प्रभावशाली पक्ष है, जो प्रेम की अंतहीन यात्रा को एक नई दिशा देता है।” समारोह का संचालन कुशलता के साथ प्रियंका सिंह ने किया।