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ये खास मंत्रालय चाहते थे नीतीश-नायडू, CCS में चाहते थे हिस्सेदारी; जानिए ये क्या होता है

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द फॉलोअप नेशनल डेस्क 

अब जबकि नरेंद्र मोदी कुछ ही देर के बाद पीएम पद की शपथ लेने वाले हैं और उनके साथ 69 सासंद भी मंत्रिपद की शपथ लेंगे। इस बीच खबर है कि जदयू मुखिया नीतीश कुमार और टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय में से कोई एक मंत्रालय चाहते थे। लेकिन उनको ये मंत्रालय नहीं दिये गये। मिली खबर में ये भी कहा गया है कि नीतीश और नायडू इन मंत्रालयों के बदले दूसरा मंत्रालय लेने पर राजी भी हो गये हैं। दरअसल ये चारों किसी भी देश के लिए और एक मजबूत सरकार के लिए बेहद अमह मंत्रालय होते हैं। इन मंत्रालयों को मिलाकर ही CCS (Cabinet Committee on Security) का गठन होता है। ये कमेटी ही आगे चलकर अहम मुद्दों पर अंतिम फैसले लेती है। 

लोकसभा स्पीकर का पद भी चाहते थे 

इसी के साथ आज दिनभर ये भी चर्चा रही कि बीजेपी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के साथ रेल मंत्रालय, लोकसभा स्पीकर का पद भी अपने पास रखेगी। इसके पीछे का इकलौता कारण यही है कि गठबंधन की सरकार होने के बावजूद बीजेपी कहीं से इस चुनौती का सामना नहीं करना चाहती कि भविष्य में लिये जाने वाले बड़े फैसलों को लेने से पहले उसे सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़े। इसी तरह लोकसभा स्पीकर का पद भी बेहद अहम होता है। गठबंधन की सरकार में किसी सहयोगी दल के समर्थन वापस लेने की स्थिति में उसकी भूमिका बड़ी हो जाती है। इसलिए जदयू हो या टीडीपी, दोनों की ही नजर लोकसभा स्पीकर पद पर है। हालांकि स्पीकर पद के बारे में अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। 

क्या होता है CCS का काम  
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति सुरक्षा के मामलों पर निर्णय लेने वाली देश की सर्वोच्च संस्था होती है। प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं और गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य। देश की सुरक्षा संबंधी सभी मुद्दों से जुड़े मामलों में अंतिम निर्णय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का ही होता है। इसके अलावा कानून एवं व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी सीसीएस ही अंतिम निर्णय लेता है।


 

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