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ED के बुलावे पर नहीं जाने पर भी गिरफ्तारी आसान नहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की खूब हो रही है चर्चा

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द फॉलोअप डेस्क, रांची:

ईडी किसी व्यक्ति को केवल इस आधार पर गिरफ्तार नहीं कर सकती कि वो समन पर हाजिर नहीं हुआ या पूछताछ में सहयोग नहीं किया। कर्नाटक में रियल एस्टेट कारोबारी पंकज और बसंत बंसल की गिरफ्तारी को रद्द करते हुए अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। झारखंड में जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अवैध खनन केस में सीएम के सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू और साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव को ईडी के समन के बीच सुप्रीम कोर्ट की उक्त टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल, जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 7 समन किया गया लेकिन वह हाजिर नहीं हुए। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी के कयास लगाए जा रहे थे। 

सुपीम कोर्ट ने फैसले में क्या टिप्पणी की थी
अक्टूबर 2023 में कारोबारी बसंत और पंकज बंसल की गिरफ्तारी को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा था कि पीएमएलए की धारा-19 के तहत गिरफ्तारी की बात महज मौखिक निर्देश है और यह बाध्यकारी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को केवल पूछताछ में सहयोग नहीं करने अथवा समन का जवाब नहीं देने पर कोई ठोस वजह बताए बिना गिरफ्तार किया जाता है तो यह उस व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी किसी व्यक्ति को केवल इस आधार पर गिरफ्तार नहीं कर सकती कि उसने एजेंसी के सवालों का जवाब नहीं दिया या जांच में सहयोग नहीं किया। कभी-कभी समन पर जवाब नहीं देने के बाद भी गिरफ्तारियां की जाती है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और संजय कुमार की पीठ ने फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की थी। 

रिमांड पर भेजने से पहले गिरफ्तारी की वैधता जांचे कोर्ट! 
फैसले में जस्टिस एएस बोपन्ना और संजय कुमार की पीठ ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट का यह कर्तव्य है कि वह आरोपी को हिरासत में भेजते समय गिरफ्तारी की वैधता की जांच करे। गौरतलब है कि अंग्रेजी समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच ने यह टिप्पणी की थी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला केस में 7 समन
गौरतलब है कि रांची जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने अगस्त 2023 से लेकर जनवरी 2024 तक 7 बार समन किया लेकिन मुख्यमंत्री हाजिर नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने एजेंसी से बार-बार कहा कि वह बताए कि मुझे गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है आरोपी के रूप में। सीएम हेमंत सोरेन दूसरे समन के बाद हाईकोर्ट भी गये थे लेकिन वहां उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि एजेंसी को समन भेजकर बुलाने और बयान लेने का विशेषाधिकार है। झारखंड में सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पार्टी बार-बार इसे केंद्र सरकार और बीजेपी की साजिश बताती रही है।