द फॉलोअप डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को महाराष्ट्र के नागपुर के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां वे विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले दीक्षाभूमि का दौरा किया। वहां उन्होंने महात्मा बुद्ध की पूजा की और भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उनके साथ थे।
दीक्षाभूमि क्या है?
दीक्षाभूमि मूल बौद्ध वास्तुकला के आधार पर निर्मित एक केंद्रीय स्मारक है, जो मध्य प्रदेश के सांची में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित प्रसिद्ध स्तूप की प्रतिकृति है। यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा स्तूप है और इसका उद्घाटन 18 दिसंबर, 2001 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने किया था। नागपुर को हाल ही में ग्रीन सिटी और ऑरेंज सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसकी वैश्विक पहचान दीक्षाभूमि से है, जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी आते रहते हैं।
दीक्षाभूमि से क्या है अंबेडकर का संबंध?
14 अक्टूबर 1956 (दशहरा) को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ दीक्षाभूमि में ही बौद्ध धर्म अपनाया था। इस ऐतिहासिक घटना में पूरे महाराष्ट्र और बाहर से लगभग 6 लाख दलितों ने भाग लिया और बौद्ध धर्म को अपनाया। इस दिन को 'धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस' के रूप में मनाया जाता है। अंबेडकरवादी हर साल दशहरा पर दीक्षाभूमि में जाकर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं।
राजनेताओं ने बनाई दीक्षाभूमि जाने की परंपरा
पिछले कई वर्षों से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने दीक्षाभूमि जाकर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने की परंपरा बनाई है। यह स्थान दलित समुदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी का नागपुर दौरा: कई मायनों में खास
प्रधानमंत्री मोदी का नागपुर दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है। वे यहां विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात करेंगे। यह उनकी साल 2014 के बाद तीसरी मुलाकात होगी, और यह पहला मौका होगा जब कोई प्रधानमंत्री RSS के मुख्यालय जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी RSS मुख्यालय कभी नहीं गए थे।