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'कहां का सांसद रहूं? रायबरेली या...' केरल पहुंचे राहुल गांधी को वायनाड की जनता ने क्या सलाह दी

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द फॉलोअप डेस्कः
लोकसभा चुनाव में केरल की वायनाड सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे राहुल गांधी बुधवार को वायनाड पहुंचे। यहां लोगों से स्टेज से ही मुखातिब हुए और कहा कि मैं दुविधा में हूं कि मैं कहां का सांसद रहूं। मैं क्या चुनूं? रायबरेली या वायनाड? इस बीच वायनाड की जनता ने कहा कि वायनाड। उसके बाद राहुल ने कहा, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मेरे फैसले से वायनाड और रायबरेली दोनों खुश होंगे। उन्होंने वायनाड की जनता का धन्यवाद किया और कहा मैं वादा करता हूं मैं जल्द ही आपसे मिलने आऊंगा। 


बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार 12 जून को केरल के दौरे पर हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राहुल का यह पहला केरल दौरा है। मलप्पुरम में जनसभा के दौरान राहुल ने कहा- वायनाड सीट छोड़ूं या रायबरेली, यह मेरे लिए धर्मसकंट है।  मोदी की तरह मुझे भगवान से गाइडेंस नहीं मिल रही है। मैं साधारण मनुष्य हूं। वायनाड या रायबरेली का फैसला मुझे खुद ही करना होगा। मेरे लिए देश की गरीब जनता ही मेरी भगवान है। मैं जनता से बात करूंगा और फैसला लूंगा। 


राहुल ने कहा कि केरल और उत्तर प्रदेश के लोगों ने पीएम मोदी को बताया है कि संविधान हमारी आवाज है और वे इसको छू नहीं सकते हैं। देश की जनता ने PM को बताया कि वे तानाशाही नहीं कर सकते हैं। चुनाव से पहले भाजपा के नेता कहते थे कि वो संविधान को फाड़ देंगे। अब चुनाव के बाद मोदी संविधान को सिर से लगाते हैं। मोदी वाराणसी में मुश्किल से जीत पाए हैं। भाजपा अयोध्या में भी हार गई है। नफरत को मुहब्बत ने हरा दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो सरकार बनी है वह अपंग सरकार है। विपक्ष ने भाजपा को गहरी चोट पहुंचाई है। मोदी जी का एटीट्यूड भी बदल गया है। विपक्ष का कर्तव्य हम निभाते रहेंगे। हम गरीबों की बात संसद में उठाते रहेंगे। मोदी ने कहा था कि 400 पार होगा। फिर बोला की 300 पार होगा। लेकिन 300 पार भी नहीं हो पाए।


दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बार भी आम चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़े हैं. उन्होंने केरल की वायनाड और यूपी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जबरदस्त मार्जिन से जीत हासिल की है। नियमों के मुताबिक, राहुल एक सीट से ही सांसद रह सकते हैं। ऐसे में उन्हें किसी एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा।कांग्रेस और राहुल गांधी के सामने संकट यह भी है कि एक सीट (रायबरेली) गांधी परिवार की पारंपरिक और गढ़ मानी जाती है तो दूसरी सीट (वायनाड) की जनता ने उस समय राहुल को अपनाया, जब वो खुद की परंपरागत सीट (अमेठी) से चुनाव हार गए थे। ऐसे में वो दोनों सीटों के वोटर्स से सीधे जुड़ाव महसूस करते हैं। फिलहाल, राहुल जिस सीट से इस्तीफा देंगे, वहां उपचुनाव होंगे और कांग्रेस के पास मौका रहेगा कि वो वहां अपना उम्मीदवार को उतारकर जीतने की कोशिश करेगी।